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गणेश चतुर्थी पर बना ग्रहों का शुभ संयोग

 गणेश चतुर्थी पर बना ग्रहों का शुभ संयोग डॉ मनीष गौतम  बुधवार,31 अगस्त से 09 सितंबर 2022 तक गणेश उत्सव मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और स्वाति नक्षत्र में दोपहर के समय भगवान गणपति का जन्म हुआ था। इस कारण से हर वर्ष गणेश जन्मोत्सव का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार गणेशोत्सव की शुरुआत बहुत ही शुभ और विशेष योग में हो रही है। बुधवार से गणेश उत्सव प्रारंभ है और बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए विशेष महत्व रखता है। बुधवार के देवता भगवान गणेश जी को माना गया है और इस दिन के ऊपर बुध ग्रह का स्वामित्व प्राप्त है।  बुधवार,31 अगस्त को ग्रहों की स्थिति कैसी रहेगी इस बार गणेश उत्सव बुधवार और चित्रा नक्षत्र में शुरू होगा। इसके अलावा इस दिन बुध, चंद्रमा के साथ स्वराशि यानी कन्या में रहेंगे। कन्या राशि बुध की उच्च राशि मानी गई है। इसके अलावा सूर्य, शनि और गुरु जो सभी ग्रहों में काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं ये सभी अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। सूर्य की स्वयं की राशि सिंह हैं, शनि की स्वराशि कुंभ और मकर है जबकि ग...

हरतालिका तीज व्रत पर करें शिव पार्वती को प्रसन्न डा. मनीष गौतम

 हरतालिका तीज व्रत पर करें शिव पार्वती को प्रसन्न डा. मनीष गौतम  हरतालिका तीज 30 अगस्त को रखा जाएगा। शास्त्रों के अनुसार भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हर साल हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है।हरतालिका व्रत को सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। वहीं, कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है। इस व्रत में व्रती महिलाएं अन्न जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। कहते हैं इस कठिन व्रत से देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत में शिव पर्वती की पूजा का अपना विशेष महत्व है। हरतालिका तीज का महत्व इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और कुंवारी कन्याएं इस व्रत को मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखती है। मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का पुनर्मिलन हुआ था। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए बहुत तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। हरतालिका...

जन्माष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा 18 या 19 को, यहां जानें सही डेट

Manish gautam rewa जन्माष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा 18 या 19 को, यहां जानें सही डेट भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है. इस बार जन्माष्टमी 18 अगस्त, गुरुवार को पड़ रही है. हालांकि जन्माष्टमी का व्रत (Janmashtami Vrat) कब रखा जाएगा इसके लेकर पंचाग में दो तिथियों का जिक्र किया गया है. श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) में मध्यरात्रि को हुआ था. इस साल 2022 में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि 2 दिन है. इस बार अष्टमी तिथि का आरंभ 18 अगस्त को रात्रि में हो रहा है. इस वजह से कुछ लोग 18 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे. वहीं कुछ उदया तिथि की मान्यता के अनुसार, 19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे. वहीं वैष्णव संप्रदाय 19 अगस्त, 2022 को श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएगा.  इस बार दोनों ही तिथियों में नहीं है रोहिणी नक्षत्र जन्माष्टमी में रोहिणी नक्षत्र को खास महत्व दिया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. जन्माष्टमी का उत्सव रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है. लेकिन इस बार दो तिथियों में अष्टमी होने ...

11 या 12 अगस्त? रक्षाबंधन की डेट का कंफ्यूजन करें दूर डॉ मनीष गौतम

 11 या 12 अगस्त? रक्षाबंधन की डेट का कंफ्यूजन करें दूर डॉ मनीष गौतम राखी बांधने का मुहूर्त 11 को रात्रि 8:25 के बाद शुरू होगा धर्मशास्त्र के वचनों की समीक्षा करते हुए 11 को 9:35 के बाद उपाकर्म तथा 11 को ही रात्रि 8:25 के बाद रक्षा बन्धन रक्षा बंधन को शास्त्र सम्मत बताया। इसका विस्तृत विवरण विद्वत गण धर्मसिंधु एवं निर्णय सिंधु आदि धर रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है। यह त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल पूर्णिमा तिथि दो दिन यानी 11 व 12 अगस्त को त्योहार मनाया जाएगा। दो दिन पूर्णिमा तिथि होने से लोगों के बीच असमंजस है कि आखिर किस दिन राखी का त्योहार मनाना शुभ रहेगा और रक्षासूत्र बांधने का उत्तम मुहूर्त क्या है। भद्रा में क्यों नहीं बांधते राखी  भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित है. पौराणिक कथा के अनुसार लंका नरेश रावन की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी थी जिसके कारण रावण का सर्वनाश हो गया. राखी बांधने की सही विधि क्या है धार्मिक मान्यता है कि राखी बांधते वक्त भाई का मुंह पूरब दिशा की ओर और बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना च...

नाग पंचमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग डॉ.मनीष गौतम

 नाग पंचमी पर बन रहा है दुर्लभ संयोग डॉ.मनीष गौतम श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मंगलवार दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यन्त ही शुभ है। नाग पंचमी को भगवान शिव व नागदेव की पूजा से विशेष रूप से सिद्धि प्राप्ति होती है।श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को मंगलवार दिन व उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र व शिव योग मिल रहा है, जो अत्यन्त ही शुभ है। नाग पंचमी को भगवान शिव व नागदेव की पूजा से विशेष रूप से सिद्धि प्राप्ति होती है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। मां शारदा ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष गौतम ने बताया कि समस्त नाग जाति के प्रति श्रद्धा व सम्मान पूर्वक गोदूग्ध धान का लावा, सफेद पुष्प, धूप आदि से पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद नाग देवता की प्रसन्नता के लिए निम्न मन्त्र का जप करें... ॐ नवकुल नागाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि, तन्नो सर्प: प्रचोदयात। नाग पंचमी के दिन जिस जातक के जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष, सर्प श्राप के द्वारा कष्ट प्राप्त हो रहा हो। उन्हें चाहिए की भगवान शिव की पूजा के साथ- साथ सर्प देवता की पूजा उपरोक्त मन्...

सावन में रुद्राभिषेक से मिलते हैं चमत्कारी लाभ

 सावन में रुद्राभिषेक से मिलते हैं चमत्कारी लाभ  सावन महीने में रुद्राभिषेक कराना बहुत फलदायी माना जाता है.  सावन महीने की शुरुआत हो गई है. सावन महीने में हिंदू धर्म के लोग घर पर या शिवालयों में रुद्राभिषेक कराते हैं. ऐसी मान्यता हैं कि सावन के महीने भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से सारे दुख नष्ट हो जाते हैं और हमें लाइफ में मनचाही सफलता मिलती है. ज्योतिष मर्मज्ञ श्रीनाथ प्रपन्नाचार्य की मानें तो अलग-अलग कामनाओं के लिए अलग-अलग पूजन सामग्री के साथ भगवान भोले शंकर का रुद्राभिषेक किया जाता है. यदि आपकी भी कोई ऐसी कामना है जिसकी पूर्ति के लिए आप सावन में रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं. तो आइए जानते हैं सावन में कब और किस विधि से करें रुद्राभिषेक और क्या है इसका महत्व.ऐसे तो सावन महीने में किसी भी दिन रुद्राभिषेक कराना फलदायी होता है, लेकिन सावन माह में पड़ने वाले सोमवार, शुक्रवार और प्रदोष के दिन रुद्राभिषेक कराना विशेष फलदायी होता है. ज्योतिष की मानें तो अलग-अलग समस्याओं के निवारण और अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए अलग-अलग द्रव्यों से शिवलिंग पर अभिषेक किया जाता है. आइए जानते ...

भक्तों की नैया भोलेनाथ लगाएंगे पार इस सावन डॉ मनीष गौतम

 भक्तों की नैया भोलेनाथ लगाएंगे पार इस सावन डॉ मनीष गौतम 14 जुलाई से सावन का महीना प्रारंभ हो चुका है। सावन के महीने में शिव पूजा के लिए कुछ नियम बताए गए हैं जिसका पालन जरूर करना चाहिए। आज से सावन का पवित्र महीना आरंभ हो गया है। भगवान शिव की आराधना के लिए सावन का महीना बहुत ही विशेष माना गया है। 14 जुलाई से सावन शुरू होकर 12 अगस्त तक रहेगा। सावन माह में भगवान शिव का जलाभिषेक,पूजा-पाठ और आराधना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस बार सावन माह में कुल मिलाकर 8 दिन रवि योग और 7 दिन सर्वार्थसिद्धि योग बनेगा। वहीं सावन के महीने में इस बार चार सोमवार व्रत रखे जाएंगे। सावन का महीना हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र महीना होता है। पूरे सावन के महीने में भगवान शिव के भक्त सच्चे मन और लगन के साथ शिव भक्ति में लीन रहते हैं। सावन के महीने में दिन की शुरुआत भोलेभंडारी के जलाभिषेक और विशेष पूजा-अर्चना के साथ होती है। शिव मंदिरों में भारी संख्या में लोग एकत्रित होकर बोल बम के जयकारे लगाते हुए शिव आराधना करते हैं। इस बार सावन का महीना कुल मिलाकर 29 दिन का रहेगा। 14 जुलाई से शुरू होने वाले सावन मह...