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सोमवती अमावस्या 30 मई 2022, बना है ऐसा संयोग, मिलेगा 3 गुना फायदा एक साथ डा. मनीष गौतम

 सोमवती अमावस्या 30 मई 2022, बना है ऐसा संयोग, मिलेगा 3 गुना फायदा एक साथ डा. मनीष गौतम सोमवार 30 मई को सोमवती अमावस्या है। धार्मिक दृष्टि से सोमवती अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व बताया गया है। इस दिन शिवजी और पितरों की पूजा करना कई गुणा लाभ प्रदान करता है। सुहागन महिलाएं इस दिन शिव पार्वती की पूजा करके अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं और सोमावती देवी से आशीर्वाद मांगती हैं कि जैसे उनका सुहाग अखंडित रहा वैसे ही उनका भी सौभाग्य और सुहाग बना रहे। सोमवती अमावस्या पर शनि जयंती इस वर्ष कई वर्षों के बाद ऐसा दुर्लभ संयोग बना है कि सोमवती अमावस्या के दिन अमावस्या तिथि के स्वामी शनि देव की भी जयंती मनाई जाएगी। लेकिन इस बार की सोमवती अमावस्या का महत्व यहीं तक नहीं है। इस बार सोमवती अमावस्या के दिन ही सुहाग का पर्व वट सावित्री भी है। और इस पर सोने पर सुहागा यह है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग उपस्थित हो रहा है। साथ ही 30 साल बाद शनि महाराज अपने जन्मदिन पर अपनी राशि कुंभ में होंगे।

वट सावित्री व्रत में क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा डा. मनीष गौतम

 वट सावित्री व्रत में क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा डा. मनीष गौतम हिंदू धर्म की महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह त्यौहार ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन पड़ता है. इस बार यह त्यौहार 30 मई को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रहकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाएं वट सावित्री व्रत में वट(बरगद) वृक्ष की ही पूजा क्यों करती हैं? आइए जानते हैं क्या है वट सावित्री व्रत का पौराणिक महत्व और   क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत? पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे. महिलाएं भी इसी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं. क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा धार्मिक मान्यता अनुसार सावित्री के पति सत्यवान की दीर्घआयु में ही मृत्यु हो गई. जिसके बाद सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने पुण्य धर्म से यमराज को प्रसन्न करके अपने मृत पति के जीवन को वापस लौटाया था. य...

भानु सप्तमी? सूर्य देव की पूजा से बढ़ेगा धन, वंश और सुख पं. मनीष गौतम

 भानु सप्तमी? सूर्य देव की पूजा से बढ़ेगा धन, वंश और सुख पं. मनीष गौतम जब किसी भी माह की सप्तमी तिथि रविवार के दिन होती है, तो उस दिन भानु सप्तमी (Bhanu Saptami) होती है. सप्तमी तिथि के स्वामी या अधिप​ति देव स्वयं भगवान सूर्य हैं. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी ति​थि 22 मई दिन रविवार को है, इस​लिए भानु सप्तमी व्रत इस दिन रखा जाएगा. वैसे भी ज्येष्ठ माह में सूर्य देव की उपासना और रविवार व्रत रखने का महत्व है. इस माह में सूर्य देव के भानु स्वरूप की पूजा करते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, भानु सप्तमी का व्रत रखने और सूर्य देव की पूजा करने से दुख, रोग, पाप आदि नष्ट हो जाते हैं. सूर्य देव की कृपा से धन, धान्य, वंश और सुख में वृद्धि होती है. इस दिन सूर्य को जल देने से बुद्धि विवेक बढ़ता है, दान करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. भानु सप्तमी के पुण्य प्रभाव से पिता के साथ रिश्ता मजबूत होता है. आइए जानते हैं भानु सप्तमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और इस दिन क्या करें.भानु सप्तमी 2022 पूजा मुहूर्त भानु सप्तमी व्रत के दिन इंद्र योग सुबह से लेकर अगले दिन प्रात:...

अक्षय तृतीया अगले 100 साल तक नहीं आएगा ऐसा दुर्लभ योग पं मनीष गौतम

 अक्षय तृतीया अगले 100 साल तक नहीं आएगा ऐसा दुर्लभ योग पं मनीष गौतम अक्षय तृतीया का पर्व प्रत्येक वर्ष वैशाख मास की तृतीया के दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शुरू किया गया हर कार्य अक्षय लाभ प्रदान करता है, इसीलिए इसे अक्षय तृतीया नाम दिया गया है. कुछ स्थानों पर इस दिन को आखा तीज के नाम से भी मनाया जाता है. इस दिन देवी लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म अनुसार इस दिन सोना खरीदना बहुत शुभ होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष अक्षय तृतीया 3 मई, मंगलवार 2022 को मनाया जायेगा. इस दिन तीन विशेष राजयोग निर्मित होने से इस अक्षय तृतीया का महत्व कई गुना बढ़ जायेगा. अक्षय तृतीया का महात्म्य! ज्योतिषाचार्य पं मनीष गौतम के अनुसार वैशाख शुक्लपक्ष के तीसरे दिन सूर्य मेष राशि में और चंद्रमा वृष राशि में गोचर करता है, तभी अक्षय तृतीया का योग बनता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन श्रीहरि ने छठा अवतार परशुराम के रूप में जन्म लिया था, तथा सतयुग और त्रेतायुग का प्रारंभ भी इसी दिन हुआ था. इस तिथि की शुभता को देखते हुए भगवान श्री गणेश और वेदव...

30 साल बाद शनि की स्वराशि में वापसी, इन राशियों पर रहेगी टेढ़ी नजर; रहें सावधान! पं मनीष गौतम

 30 साल बाद शनि की स्वराशि में वापसी, इन राशियों पर रहेगी टेढ़ी नजर; रहें सावधान! पं मनीष गौतम ज्योतिष शास्त्र में शनि को अहम ग्रह माना जाता है. माना जाता है कि जब शनि देव की क्रूर दृष्टि पड़ती है तो जीवन में एक के बाद एक मुश्किलें आती हैं. शनि देव जब कभी भी राशि परिवर्तन करते हैं तो इसका सीधा असर इंसान की जिंदगी पर पड़ता है. शनि देव 29 अप्रैल 2022 को राशि परिवर्तन करने वाले हैं. इस राशि परिवर्तन के दौरान शनि देव कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो शनि देव 30 साल बाद स्वराशि में गोचर करेंगे. आइए जानते हैं कि शनि का यह राशि परिवर्तन किन राशियों के लिए खास रहने वाला है.  शनि का गोचर किन राशियों के लिए है महत्वपूर्ण? वृषभ (Taurus): शनि के इस राशि परिवर्तन से नौकरी और व्यापार में तरक्की मिल सकती है. साथ ही जो लोग नौकरी तलाशने में मेहनत कर रहें हैं, उन्हें उनकी मेहनत का फल मिलेगा, क्योंकि शनि देव मेहनत करने वालों के ऊपर कृपा दृष्टि रखते हैं. हालांकि लव लाइफ में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.  कर्क (Cancer): शनि के राशि परिवर्तन से कर्क राश...

आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं सदी में बनाया गया था श्रृंगेरी का शारदम्बा मंदिर पं मनीष गौतम

 आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं सदी में बनाया गया था श्रृंगेरी का शारदम्बा मंदिर पं मनीष गौतम  कर्नाटक राज्य के चिकमंगलुर जिले में तुंगा नदी के किनारे पर करीब 1100 साल पुराना श्रृंगेरी का शारदम्बा मंदिर स्थित है। ये मंदिर आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं सदी में बनाया गया था। यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है और यहां देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यहां वसंत पंचमी को विशेष पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस मंदिर में देवी की मूर्ति चंदन की लकड़ी से बनी थी और इसे आदि शंकराचार्य द्वारा ही यहां स्थापित किया गया था, लेकिन बाद में इसे 14वीं शताब्दी में स्वर्ण की मूर्ति से बदल दिया गया। इस मंदिर में स्फटिक का लिंग भी स्थापित है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे भगवान शिव ने स्वयं आदि शंकराचार्य को भेंट में दिया था। हर रोज शाम को 8.30 बजे चंद्रमौलेश्वर पूजा के दौरान इस लिंग को देख सकते हैं। 14-16 वीं शताब्दी के दौरान और बाद में 1916 के आसपास विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। होता है अक्षराभ्यास का अनुष्ठान ऐसा माना जाता है कि देवी शारदम्बा देवी सरस्वती का अवतार हैं, ...

मां मुंबा देवी जिसके दर्शन करने से ही सभी कष्ट हो जाते हैं दूर पं मनीष गौतम

 मां मुंबा देवी जिसके दर्शन करने से ही सभी कष्ट हो जाते हैं दूर पं मनीष गौतम मलकपुर तालाब मनगवा में स्थित है माता का मंदिर होते हैं चमत्कार कहावत है काहे मान मनगवां जयहै, काहे मलकपुर रोटी खाईहै, यह कहावत झूठी नहीं है मनगवां का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है यहां पर कभी राजवंश हुआ करते थे एक बार रानी मलकावती के पति की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने से और सभी राजवैद्य के मना करने के उपरांत निराश हो गई तभी एक ग्रामीण वेद्य ने उन्हें उपचार के लिए बनारस जाने के लिए कहा बोले आप वहां राजा साहब को ले जाइए और भगवान विश्वनाथ जी के दर्शन कराइए तब जाकर उनकी कृपा से इन्हें आराम हो सकता है रानी मलकावती लाव लश्कर के साथ राजा को लेकर बनारस के लिए निकल पड़ी मनगवां क्षेत्र में उनका पड़ाव पड़ा तब यहां तमाम जंगल हुआ करते थे उन्होंने रात भर जागरण किया सभी लाव लश्कर रात में सो गए रानी जग रही थी जहां पर रानी मलकावती और राजा साहब सयन कर रहे थे उसके थोड़ी ही दूर में एक बड़ी सी बामी थी अर्ध रात्रि में उस बामी से आवाज आई की राजा को अगर राई और माठा भरपेट पिला दिया जाए तो राजा स्वस्थ हो जाएगा रानी बात सुनी और अचरज म...