दिवाली पर ग्रहों का बन रहा विशेष संयोग डॉ मनीष गौतम
पंचांग के अनुसार इस साल दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महालक्ष्मी, धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है। इस बाद दिवाली पर ग्रहों के विशेष संयोग बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आपको बता दें कि इस दिन चंद्रमा बुध के साथ कन्या राशि में स्थित होंगे। साथ ही सूर्य और शुक्र तुला राशि में विराजमान रहेंगे। ऐसे में इस बार मां लक्ष्मी का पूजन सुख- समृद्धि देने वाला साबित हो सकता है।फ्यूचर समाचार अनुसार जानते हैं इस बाद दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त अबकी बार कब से कब तक रहेगा।
जानिए अमावस्या तिथि
फ्यूचर समाचार के अनुसार इस बार 24 अक्टूबर और 25 अक्टूबर दोनों दिन ही अमावस्या तिथि रहेगी. लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो जाएगी। वहीं देखा जाए तो 24 अक्टूबर को प्रदोष और निशित काल में अमावस्या तिथि रहेगी। इसलिए पंचांग के मुताबिक 24 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी।
जानिए लक्ष्मी पूजन का शुभ समय
भविष्य के अनुसार, कार्तिक प्रदोषे तु विशेषेण अमावस्या निशावर्धके। तस्यां सम्पूज्येत देवीं भोग मोक्ष प्रदायिनीम।। इसका अर्थ है कि जिस दिन मध्यरात्रि और प्रदोष काल में अमावस्या तिथि हो उसी दिन दिवाली पूजन करना शुभ फलदायी रहता है।
फ्यूचर पंचांग के मुताबिक दिवाली के दिन प्रदोष काल शाम में 5 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो रहा है। वहीं इस समय चर चौघड़िया रहेगा जो शाम में 7 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। साथ ही उसके बाद रोग चौघड़िया लग जाएगा। इसलिए लक्ष्मी पूजन शाम 6 बजकर 54 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 30 मिनट से पहले आरंभ कर देना चाहिए। क्योंकि इस समय लग्न स्थिर है।
जानिए पूजा की सामग्री
दिवाली का पूजन विशेष होता है। इसमें कुछ विशेष सामग्री भी होती हैं। जिसमें एक पूजा की चौकी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़ कमल गट्टा, चांदी का सिक्का, फल और भोग के लिए मिठाई आदि। वहीं पूजन में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की मूर्ति खंडित नहीं होनी चाहिए। साथ ही चित्र भी कटा- फटा नहीं होना चाहिए।
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