गणेश प्रतिमा के विसर्जन में पंचक बाधक नहीं डॉ मनीष गौतम
देव पूजन में नहीं किया जाता विचार
इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष गौतम का कहना है कि शुभ कार्यों, खास तौर पर देव पूजन में पंचक का विचार नहीं किया जाता। शास्त्रों में पंचक के दौरान शुभ कार्य के लिए कहीं भी निषेध का वर्णन नहीं है। कुछ कार्यों में ही इसके विचार की बात कही गई है। पंचक में जो नक्षत्र आते हैं उनमें धनिष्ठा तृतीय चरण से रेवती नक्षत्र तक शामिल हैं। प्रत्येक माह में जब भी ये नक्षत्र आते हैं तो पंचक का प्रभाव होता है। जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि पर रहता है तब उस समय को पंचक कहते हैं। क्योंकि चंद्रमा 27 दिनों में इन सभी नक्षत्रों का भोग कर लेता है। अत: हर महीने में लगभग 27 दिनों के अंतराल पर पंचक नक्षत्र आते ही रहते हैं
पंचक के दौरान ये है वर्जित
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मृत्यु होने पर शव का अग्नि संस्कार, दक्षिण दिशा में यात्रा, लकड़ी काटना व एकत्रीकरण, तृण तोड़ना व एकत्रीकरण जैसे कार्यों को पंचक में करने से मना किया गया है।
पंचक में क्या नहीं है वर्जित
पंचक में देव पूजन व प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ, यज्ञोपवीत, वाहन क्रय करना, धार्मिक यात्राएं व शुभ कार्य वर्जित नहीं माने गए हैं।
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