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वट सावित्री व्रत में क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा डा. मनीष गौतम

 वट सावित्री व्रत में क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा डा. मनीष गौतम



हिंदू धर्म की महिलाएं परिवार की सुख-समृद्धि और पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत रखती हैं. यह त्यौहार ज्येष्ठ माह की अमावस्या के दिन पड़ता है. इस बार यह त्यौहार 30 मई को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं व्रत रहकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाएं वट सावित्री व्रत में वट(बरगद) वृक्ष की ही पूजा क्यों करती हैं? आइए जानते हैं क्या है वट सावित्री व्रत का पौराणिक महत्व और  


क्यों मनाया जाता है वट सावित्री व्रत?


पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन ही सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और श्रद्धा से यमराज द्वारा अपने मृत पति सत्यवान के प्राण वापस पाए थे. महिलाएं भी इसी संकल्प के साथ अपने पति की आयु और प्राण रक्षा के लिए व्रत रखकर पूरे विधि विधान से पूजा करती हैं.


क्यों की जाती है वट वृक्ष की पूजा


धार्मिक मान्यता अनुसार सावित्री के पति सत्यवान की दीर्घआयु में ही मृत्यु हो गई. जिसके बाद सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने पुण्य धर्म से यमराज को प्रसन्न करके अपने मृत पति के जीवन को वापस लौटाया था. यही वजह है कि सावित्री व्रत के दिन महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. वट सावित्री व्रत में देवी सावित्री की पूजा की जाती है.


वट वृक्ष का धार्मिक महत्व


वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में त्रिदेव यानी जड़ में ब्रम्हा जी, तन में विष्णु जी और सबसे ऊपर भोले शंकर का निवास माना जाता है. बरगद के वृक्ष में इन तीनों देवताओं के वास के चलते इसे देव वृक्ष कहा जाता है.

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