मां मुंबा देवी जिसके दर्शन करने से ही सभी कष्ट हो जाते हैं दूर पं मनीष गौतम
मलकपुर तालाब मनगवा में स्थित है माता का मंदिर होते हैं चमत्कार
कहावत है काहे मान मनगवां जयहै, काहे मलकपुर रोटी खाईहै, यह कहावत झूठी नहीं है मनगवां का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है यहां पर कभी राजवंश हुआ करते थे एक बार रानी मलकावती के पति की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने से और सभी राजवैद्य के मना करने के उपरांत निराश हो गई तभी एक ग्रामीण वेद्य ने उन्हें उपचार के लिए बनारस जाने के लिए कहा बोले आप वहां राजा साहब को ले जाइए और भगवान विश्वनाथ जी के दर्शन कराइए तब जाकर उनकी कृपा से इन्हें आराम हो सकता है रानी मलकावती लाव लश्कर के साथ राजा को लेकर बनारस के लिए निकल पड़ी मनगवां क्षेत्र में उनका पड़ाव पड़ा तब यहां तमाम जंगल हुआ करते थे उन्होंने रात भर जागरण किया सभी लाव लश्कर रात में सो गए रानी जग रही थी जहां पर रानी मलकावती और राजा साहब सयन कर रहे थे उसके थोड़ी ही दूर में एक बड़ी सी बामी थी अर्ध रात्रि में उस बामी से आवाज आई की राजा को अगर राई और माठा भरपेट पिला दिया जाए तो राजा स्वस्थ हो जाएगा रानी बात सुनी और अचरज में पड़ गई की यह आवाज आई कहां से तभी राजा साहब के पेट से आवाज आती है की बामी में एक कड़ाही उबलता हुआ तेल डाल दिया जाए तो अपार संपत्ति मिलेगी रानी दोनों बातें सुनकर उठ कर बैठ गई और रात भर वह विचरण करने लगी की क्या सत्य है क्या असत्य जैसे तैसे सुबह हुई और रानी को लगा कि रात की सुनी हुई बात कितनी सत्य है इसके लिए उन्होंने अपने सिपाहियों को बुलाकर पास के गांव में भेजा और वहां से पर्याप्त मात्रा में राई और मट्ठा मंगाया और राजा को पिला दिया तभी राजा अचानक से हड़बड़ा गए और उनके पेट से एक सांप निकलकर कुछ दूर में जाकर मर गया तब रानी को लगा की यह बात सत्य हुई तो दूसरी घटना को भी जांच लेना चाहिए सिपाही को बुलाकर रानी ने आदेश दिया कि पास के गांव में जाओ और एक बड़ी कढ़ाई लेकर आओ और राई का तेल भी लेते आना सिपाही लेकर जैसे ही पहुंचे उन्होंने उसको उबालकर पास में बनी बामी में डलवा दिया गया बड़ा भयंकर सांप निकल कर बाहर आया और छटपटा कर मर गया रानी ने उस बामी को खुदवाया तो उसमें अपार संपत्ति मिली तब तक राजा भी पूर्ण रूप से स्वस्थ हो चुके थे रानी ने सोचा कि हमारी जो अमूल्य धरोहर है वह राजा साहब हैं इस संपत्ति को हम पाकर क्या करेंगे तो रानी ने अपने सिपाहियों से कहा कि यहां पर एक बड़ा सा तालाब खुदवाया जाए और उसमें लगने वाला धन इसी से उपयोग किया जाए और बाकी जो सोना चांदी हीरे जवाहरात बच गया हूं उन सभी को इसी तालाब के बीच में गाड़ दिया जाए ऐसा करने के बाद रानी मलकावती और राजा साहब अपनी राजपाट की ओर चले गए आज भी 120 एकड़ का मलकपुर तालाब बना हुआ है जो अपने अस्तित्व की तलाश कर रहा है मलकपुर तालाब की मैड में मां मुंबा देवी का मंदिर निर्मित कराया गया था जो आज भी भव्य रूप में बना हुआ है
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