मनीष गौतम रीवा
कई शुभ योग लेकर आई है इस बार की बसंत पंचमी
माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। बसंत पंचमी का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व रहा है। कहते हैं इस दिन ही पूरे ब्रह्मांड को ध्वनि यानी कि आवाज मिली थी। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर मां सरस्वती की पूजा की जाती है। जिस मौसम में बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। उस मौसम में पूरा वातावरण भी पीत वर्ण में रंगा रहता है। खेतों में पीली सरसों लहराती है तो वहीं चारों पीले फूल खिले रहते हैं। यहीं नहीं मां सरस्वती को भी पीले फूल, पीले फल, पीले चावल का भोग लगाया जाता है। आइए जानते हैं क्यों है इस पीले रंग का इतना खास महत्व…
शास्त्रों में बताया गया है कि पीला रंग सुख, शांति प्रदान करने वाला और तनाव को दूर करने वाला माना गया है। बसंत का मौसम आते-आते वातावरण की ठंडक काफी कम हो जाती है और मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़-पौधों पर नए पत्ते आने लगते हैं और कलिया खिलने लगती हैं। सरसों की फसल पककर खड़ी हो जाती है और इस तरह प्रकृति हर तरफ से पीले रंग की चूनर ओढ़े रहती है। बसंत पंचमी के दिन सूर्य के उत्तरायण रहने से सूर्य की किरणों से पृथ्वी पीली हो जाती है। सब कुछ पीला-पीला होता है, इसलिए इस दिन वस्त्र भी पीले पहनकर मां सरस्वती के भक्त भी प्रकृति के पीत वर्ण में रंग जाते हैं।
पीले रंग को वैज्ञानिक तौर पर भी बहुत खास माना गया है। पीला रंग तनाव को दूर करता है और दिमाग में शांति लाता है। इसके साथ ही पीला रंग आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला माना गया है। इतने सारे लाभ होने की वजह से पीले रंग के वस्त्र पहनकर की जाने वाली पूजा के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
बसंत पंचमी के दिन जल्दी स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें और चौकी पर पीले रंग का नया वस्त्र बिछाकर मां सरस्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और मां को भी पीले वस्त्र पहनाएं। सरस्वती माता को पीले फूल अर्पित करें, पीले फलों का भोग लगाएं और पीले मिष्ठान अर्पित करें। उसके बाद मां सरस्वती की वंदना करके पूजा संपन्न करें।
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