मनीष गौतम रीवा
*शनि प्रदोष 29 जनवरी को*
*स्कन्दपुराण के अनुसार इस व्रत का विशेष फल होता है*
यह व्रत शिवजी की प्रसन्नता और प्रभुत्व की प्राप्ति के प्रयोजन से किया जाता है। शिवपूजन और रात्रि के अनुरोध से इसे प्रदोष कहते हैं। प्रदोष का समय सूर्यास्त से दो घड़ी बीतने तक है। माघ कृष्ण पक्ष का प्रदोष शनिवार 29 जनवरी को मनाया जायेगा | धर्मग्रंथों में शनिप्रदोष का अत्यंत ही विशेष फल बताया गया है | कहा गया है-
*शनिवासरे प्रदोषोSयं दुर्लभ: सर्वदेहिनाम् |*
*तत्रापि दुर्लभस्तस्मिन् कृष्णपक्षे समागते ||*
अर्थात् शनि प्रदोष मनुष्यों के लिए दुर्लभ होता है। उसमें भी कृष्ण पक्ष का शनि प्रदोष अत्यन्त ही दुर्लभ कहा गया है |
स्कन्दपुराण में कहा गया है-
ये वै प्रदोषसमये परमेश्वरस्य कुर्वन्त्यनन्यमनसोSडघ्रिसरोजसेवाम्|
नित्यं प्रवृद्धधनधान्यकलत्रपुत्रसौभाग्यसम्पदधिकास्त इहैव लोका: ||
अर्थात् जो मनुष्य प्रदोष के समय में शिव जी के चरण कमल का अनन्य मन से आश्रय लेता है उसके धन-धान्य, स्त्री -पुत्र, बन्धु-बान्धव और सुख-सम्पत्ति सदैव बढ़ते रहते हैं।
प्रदोष पर्व पर पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को भगवान शिव की पूजा की जाती है। स्कंद पुराण के अनुसार माघ में शनिवार को शिव पर्व होने से ये दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इस शुभ योग में भगवान शिव और शनि की पूजा एवं व्रत करने से हर इच्छा पूरी होती है। हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं।
*प्रदोष व्रत और पूजा की विधि*
व्रत करने वाले को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत का *" मम शिवप्रसादप्राप्तिकामनया प्रदोषव्रतांगीभूतं शिवपूजनं करिष्ये |* कहकर संकल्प करना चाहिए। प्रदोष व्रत में शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। कुछ लोग इस व्रत के दौरान पूरे दिन पानी भी नहीं पीते हैं। इस दिन सुबह और शाम दोनों समय शिव पूजा की जाती है। सूर्यास्त के समय पुन: स्नान करके शिवमूर्ति के समीप पूर्व या उत्तर मुख बैठकर भगवान शिव को बेलपत्र, गंगाजल, चंदन, अक्षत, धूप और दीप के साथ पूजा करें। शाम को शिव पूजा के बाद पानी पी सकते हैं।
डॉ गणेश मिश्र, पुरी
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