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शिवरात्रि विशेष: भगवान शिव के 3 रहस्यमयी एवं चमत्कारिक मंदिर

 मनीष गौतम रीवा 

शिवरात्रि विशेष: भगवान शिव के 3 रहस्यमयी एवं चमत्कारिक मंदिर




यूं तो भगवान शिव के कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर है लेकिन हमने खोजें हैं इस महाशिवरात्रि पर आपके लिए 6 खास मंदिर। जानिए उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी।

 


1. बिजली महादेव मंदिर : यह अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है कुल्लू शहर में ब्यास और पार्वती नदी के संगम स्थल के नजदीक एक पहाड़ पर शिव का यह प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां हर 12 साल में एक बार शिवलिंग पर बिजली गिरती है। बिजली गिरने के बाद शिवलिंग चकनाचूर हो जाता है। मंदिर के पुजारी शिवलिंग के अंशों मक्खन में लपेट कर रख देते हैं। शिव के चमत्कार से वह फिर से ठोस बन जाता है। जैसे कुछ हुआ ही न हो।

 


 


2. निष्कलंक महादेव : यह मंदिर गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से 3 किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्थित है। प्रतिदिन अरब सागर की लहरें यहां के शिवलिंग का जलाभिषेक करती है। ज्वारभाटा जब शांत हो जाता है तब लोग पैदल चलकर इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं। ज्वार के समय सिर्फ मंदिर का ध्वज ही नजर आता है।


 


कहते हैं कि यह मंदिर महाभारतकालीन है और जब युद्ध के बाद पांडवों को अपने ही कुल के लोगों को मारने का पछतावा था और वे इस पाप से छुटकारा पाना चाहते थे तब वे श्रीकृष्ण के पास गए। श्रीकृष्ण द्वारिका में रहते थे। श्रीकृष्ण ने उन्हें एक काली गाय और एक काला झंडा दिया और कहा कि तुम यह झंडा लेकर गाय के पीछे-पीछे चलना। जब झंडा और गाय दोनों सफेद हो जाए तो समझना की पाप से छुटकारा मिल गया। जहां यह चमत्कार हो वहीं पर शिव की तपस्या करना।




कई दिनों तक चलने के बाद पांडव इस समुद्र के पास पहुंचे और झंडा और गाय दोनों सफेद हो गया। तब उन्होंने वहां तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया। पांचों पांडवों को शिवजी ने लिंग रूप में अलग अलग दर्शन दिए। वही पांचों शिवलिंग आज तक यहां विद्यमान हैं। पांडवों ने यहां अपने पापों से मुक्ति पाई थी इसीलिए इसे निष्‍कलंक महादेव मंदिर कहते हैं।

 


 


3. अचलेश्वर महादेव 


मंदिर : राजस्थान के धौलपुर में स्थित यह मंदिर दुर्गम जंगलों में स्थित है। कहते हैं कि इस मंदिर का शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। प्रात: इस शिवलिंग का रंग लाल होता है। दोपहर में केसरिया और जैसे-जैसे शाम होती है इसका रंग सांवला हो जाता है। इस शिवलिंग की अनोखी बात यह है कि इस शिवलिंग का नीचे कोई छोर नहीं है।

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