मनीष गौतम रीवा
151 किलो हर्बल अबीर से बाबा विश्वनाथ खेलेंगे होली, 21 मार्च से शुरू हो जाएंगी गौने की रस्में
वाराणसी। महादेव और पार्वती की शादी के बाद काशीवासी अब उनके गौने की खुमारी में डूबने के लिए तैयार हैं। बाबा विश्वनाथ और माता पार्वती के गौने की 356 वर्ष पुरानी परम्परा का निर्वाहन 24 मार्च को होगा। उसके पहले 21 मार्च से ही गौने की रस्में महंत आवास पर शुरू हो जाएंगी।
महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि हर वर्ष बाबा विश्वनाथ की पालकी पर उड़ाने के लिए मथुरा से गुलाब की पंखुड़ियों से बनी 51 किलो अबीर को मंगाया जाता था पर इस वर्ष 151 किलो हर्बल अबीर मंगायी गयी है।
महंत कुलपति तिवारी ने बताया कि काशी की लोक परम्परा के अनुसार महाशिवरात्रि पर महादेव और महामाया के विवाह के बाद रंगभरी एकादशी की तिथि पर भगवान शंकर माता गौरा का गौना करवाते हैं। इस उपलक्ष्य में महंत आवास इस वर्ष 21 मार्च से माता के मायके में तब्दील हो जाएगा। इस वर्ष यह परम्परा 357वें वर्ष में प्रवेश कर रही है।
*21 मार्च को गीत गवना से होगी शुरूआत*
महंत डॉ कुलपति तिवारी ने बताया कि 21 मार्च से गीत गवना की रस्म से इस चार दिवसीय उत्सव की शुरुआत होगी। इसके बाद अगले दिन माता की तेल-हल्दी की रस्म की जायेगी। 23 मार्च को बाबा भोलेनाथ ससुराल आएंगे।
*माता अन्नपूर्णा के मुख्य विग्रह से आएगा गौरा के माथे का सिंदूर*
इसके अलावा माता गौरा के मस्तक पर सजने के लिए माता अन्नपूर्णा के मुख्य विग्रह से सिन्दुर लाया जाएगा। बाबा को इस वर्ष नवीन महंत आवास के भूतल में विराजमान कराया जाएगा जहां शिवांजलि कार्यक्रम का आयोजन 24 मार्च को होगा, जिसमें पद्मश्री राजेश्वर आचार्य प्रस्तुति देंगे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें