सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

जान की परवाह न करते हुए अपने पांच स्वजन की मदद से बस में सवार चार यात्रियों को मौत के जबड़े से छीन लिया

 

मनीष गौतम रीवा 

 बस गहरी नहर में गिरी तो लोग बेबस हो गए लेकिन इस बीच देवदूत बनकर पहुंची छात्रा शिवरानी। उसने जान की परवाह न करते हुए अपने पांच स्वजन की मदद से बस में सवार चार यात्रियों को मौत के जबड़े से छीन लिया। घटनास्थल से करीब 300 मीटर दूर कक्षा 12वीं की छात्रा शिवरानी लुनिया (18) अपने परिवार के साथ घर के बाहर बैठी हुई थी। उसने अपने घर के सामने से तेज रफ्तार बस को गुजरते देखा। उसी समय वह किसी अनहोनी से सहम उठी।



चंद पलों में ही उसकी आशंका सच में बदल गई। बस उसके सामने ही नहर में गिर गई। जैसे ही बस नहर में गिरी तो वह अपने स्वजन के साथ घटनास्थल की ओर दौड़ पड़ी। शिवरानी को तैरना आता था। उसने अपने स्वजन लवकुश, सुरेंद्र, जगबंधन, रामपाल और धर्मपाल के साथ नहर में छलांग लगा दी।


बकौल शिवरानी यह वह पल था, जब बस धीरे धीरे नहर में ओझल हो रही थी। बस में पानी भरने लगा था। इसी बीच बस में सवार यात्री अनिल तिवारी (22), सुरेश गुप्ता (62), स्वर्णलता द्विवेदी (20), विभा प्रजापति (21), अर्चना जायसवाल (23), सुमन चतुर्वेदी, ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी, पिंकी गुप्ता बस की खिड़की से निकलने की जद्दोजहद करने लगे। शिवरानी ने साहस दिखाते हुए साथियों की मदद से एक-एक कर चार यात्रियों को सुरक्षित निकाला और उनकी जान बचाई।

शिवरानी ने बताया कि विभा, अर्चना और सुमन को तैरना नहीं आता था। अर्चना के शरीर का आधा हिस्सा बस की खिड़की में फंसा हुआ था। शिवरानी ने झट से लवकुश की मदद से अर्चना को निकाला और नहर के ऊपर पहुंचा दिया। शिवरानी ने देखा कि विभा और सुमन भी पानी में डूब रही हैं। उसने अपने साथियों के साथ इन दोनों को निकालकर उनकी जान बचाई। स्वर्णलता द्विवेदी बस के पिछले हिस्से में फंसी हुई थी। वह खिड़की से निकलने की कोशिश में जुटी थी। रामपाल और धर्मपाल के साथ मिलकर स्वर्णलता को भी बाहर निकाल लिया।


*पिंकी की हुई अस्पताल में मौत*


शिवरानी ने अपने साथियों के साथ बस में सवार पिंकी गुप्ता को बस से जिंदा निकाला। उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रामपुर पहुंचा दिया गया था, लेकिन उसके शरीर में काफी पानी जा चुका था। इसके चलते उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। पिंकी एएनएम की परीक्षा देने सतना जा रही थी।


*हिम्मत से दी मौत को मात*


अनिल तिवारी ने बताया कि जैसे ही बस नहर में डूबने लगी, उन्होंने बस की बंद खिड़की को जोर से हाथ मारा, जिससे खिड़की का कांच टूट गया। उन्हें तैरना आता था। अनिल ने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए बगल में बैठे सुरेश गुप्ता को बचाने को कोशिश की और उनका हाथ पकड़कर खिड़की से बाहर खींच लिया। सुरेश गुप्ता 62 वर्ष के हैं, तैरना भी कम जानते थे लेकिन दोनों ने एक-दूसरे का हाथ पकड़कर नहर का किनारा पकड़ लिया। करीब 300 मीटर दूर जाकर एक पत्थर मिला, जिसके सहारे दोनों अपनी जान बचा पाए।


*सतर्कता और हिम्मत से बचाई खुद की जान*


ज्ञानेश्वर चतुर्वेदी बस में सामने के कांच से आगे की ओर देख रहे थे। जैसे ही बस नहर में गिरने लगी तो उन्होंने खिड़की के कांच में पैर मारा और पानी में कूद गए। गनीमत यह रही कि वे बस के किसी हिस्से में नहीं फंसे। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने ही बस धीरे धीरे डूब गई। वे नहर का किनारा पकड़कर तैरने लगे। तभी एक सीढ़ी मिली, जिसे पकड़कर ऊपर आ गए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

इस मंदिर में मौजूद है चमत्कारी मणि दर्शन मात्र से हो जाते हैं सारे कष्ट दूर शिवलिंग दिन में चार बार बदलती है अपना रंग

 डा. मनीष गौतम देवतालाब इस मंदिर में मौजूद है चमत्कारी मणि दर्शन मात्र से हो जाते हैं सारे कष्ट दूर शिवलिंग दिन में चार बार बदलती है अपना रंग Devtalav temple: मध्यप्रदेश में रीवा जिले के देवतालाब में भगवान शिव जी का ऐतिहासिक मंदिर है। जिसमें हर समय श्रद्धालुयों की भारी भीड़ आती है। मां शारदा ज्योतिष केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ मनीष गौतम महाराज ने बताया कि लाखों लोग देश-विदेश से भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। लेकिन हर साल में सावन माह में तो श्रद्धालयों की भारी भीड़ जमा होती है।  विश्व का इकलौता एक पत्थर का बना मंदिर देवतालाब मंदिर की मान्यता यह है कि इस मंदिर का निर्माण सिर्फ एक रात में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर बहुत बड़ा मंदिर बना हुआ मिला था, लेकिन किसी ने इसको बनते हुआ नहीं देखा। कुछ जानकारों ने बताया कि मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की स्थापना अपने आप हो गई थी। यह शिवलिंग बहुत ही रहस्यमयी है, जो दिन में चार बार अपना रंग बदलती है। एक ही पत्थर का बना हुआ विश्व का यह अद्भुत मंदिर सिर्फ देवतालाब में स्थित है क्या है मंदिर की कह...

मनगवां तहसीलदार का एक नया कारनामा बिना नियम बिना प्रक्रिया के पटवारी सर्वेयर पद दिया चहेतो को

 Atit gautam rewa मनगवां तहसीलदार का एक नया कारनामा बिना नियम बिना प्रक्रिया के पटवारी सर्वेयर पद दिया चहेतो को *सभी पटवारी ने नियम विरुद्ध तरीके से अपने चहेतों को पटवारी सर्वेयर पद पर नियुक्त किया* मनगवां तहसील हमेशा ही भ्रष्टाचार के कारण खबरों में बना रहता है यहां पर कोई भी काम कार्य कानून के अनुसार नहीं होते हैं भ्रष्टाचारी यहां पर अपनी पैठ बनाकर सभी कार्य भ्रष्टाचार एवं पैसे के लेनदेन के माध्यम से करा देते हैं *पटवारी किसी भी कानून से नहीं डरते हैं अपने चहेतो को नियुक्त किया* हाल ही में तहसील मनगवां में समस्त गांव में फसल गिर्दावाली दर्ज किए जाने हेतु पटवारी सर्वेयर की नियुक्ति होने थी किंतु तहसीलदार मनगवां एवं पटवारी की मिली जुली सरकारी ने पटवारी के चहेतों  को इसमें नियुक्त कर दिया गया *नियुक्त प्रक्रिया रखी गई गोपनीय* पटवारी भ्रष्टाचार में कितने माहिर है आपको इस बात से पता चल जाएगा कि इस पद के लिए ना ही किसी को कानों कान खबर होने दी गई ना ही अभ्यर्थियों से आवेदन पत्र मंगाए गए अपने चहेतो को पटवारी ने नियुक्त करके पदों का बंदर बांट कर दिया  *तहसील में सक्रिय है दलाल* ...

विन्ध्य के बड़े नेता बने डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला कद बढ़ा

Manish gautam rewa  *छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हैं मध्‍य प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल* *2023 में शिवराज सिंह चौहान सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्यभार संभाला।* रीवा। राजेंद्र शुक्ला मध्य प्रदेश के नए उपमुख्यमंत्री होंगे। वह विन्ध्य के पहले ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल रही है। वह लगातार पांचवीं बार रीवा से विधायक निर्वाचित हुए हैं। बड़े ब्राह्मण चेहरा हैं, साफ-सुथरी छवि है विकास पुरुष के नाम से जाने जाते हैं। *डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का जन्म 3 अगस्त 1964 को रीवा में हुआ था* प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल का जन्म 3 अगस्त 1964 को रीवा में हुआ था। उनके पिता भैयालाल शुक्ला एक ठेकेदार और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने सरकारी स्कूल से पढ़ाई की और सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज रीवा से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। युवावस्था में ही नेतृत्व के गुण विकसित होने के कारण वे 1986 में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। वह 1986 में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष थे। उन्होंने 1998 के ...