मनीष रीवा
*इस बार बहुत शुभ योग में मनाई जाएगी बसंत पंचमी, ज्ञान की देवी मां सरस्वती की होगी आराधना*
ज्ञान, विद्या एवं कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की उपासना का पर्व बसंत पंचमी 16 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन शैक्षणिक संस्थानों के साथ ही घरों में मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर भक्त मां को प्रसन्न करेंगे।ज्योतिष के लिहाज से बसंत पंचमी के दिन बन रहे शुभ योग, सर्वार्थ सिद्ध योग एवं रवि योग इस बार की बसंत पंचमी को खास बनाएंगे। मंगलवार का दिन होने के कारण भी इस बार बसंत पंचमी मंगलकारी होगी।
*बसंत पंचमी का महत्व*
ज्योतिर्विद पंडित मनीष गौतम के अनुसार बसंत पंचमी के दिन अज्ञानता के अंधकार को खत्म करने के लिए ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा होती है। विशेष तौर पर इस दिन विद्यार्थी मां आराधना कर विद्या का आर्शीवाद मांगते हैं। बसंत पंचमी के दिन विशेषकर पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना जाता है। यह रंग ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।
*ऐसे करें बसंत पंचमी की पूजा*
पंडित माधव गौतम के अनुसार इस दिन प्रात: काल स्नानादि कर पीले वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की प्रतिमा को सामने रखकर कलश स्थापित करें। इसके बाद माता सरस्वती और भगवान गणेश व नवग्रह की विधिवत पूजा करें। प्रसाद के रूप में खीर अथवा दुध से बनी मिठाईयां चढ़ाएं। इसके बाद श्वेत फूल माता को अर्पण करें। विद्यार्थी मां सरस्वती की पूजा कर गरीब बच्चों में कलम व पुस्तकों का दान करें।
*बसंत पंचमी की कथा*
पंडित मनीष गौतम के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि ब्रह्माजी सृष्टि की रचना करके जब देखा तो चारो ओर उदासी सा वातावरण नजर आता था, जैसे किसी की वाणी न हो। यह देखकर ब्रह्माजी ने उदासी और मलिनता को दूर करने के लिए अपने कमंडलु से जल छिड़का। उन जलकणों के पड़ते ही वृक्ष से एक शक्ति उत्पन्न हुई जो दोनों हाथों से वीणा बजा रही थीं एवं दोनों हाथों में क्रमशः पुस्तक तथा माला धारण किये थी। ब्रह्माजी ने उस देवी से वीणा बजाकर संसार की मूकता तथा उदासी दूर करने को कहा, तब उस देवी ने वीणा के आवाज से सब जीवों को वाणी प्रदान की। उस देवी को सरस्वती कहा गया।
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