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*किसान नेता राकेश टिकैत की संपत्ति जानकर हो जाएंगे हैरान, 13 बड़े शहरों में फैली 80 करोड़ की प्रोपर्टी...??*


मनीष गौतम रीवा 


 *किसान नेता राकेश टिकैत की संपत्ति जानकर हो जाएंगे हैरान, 13 बड़े शहरों में फैली 80 करोड़ की प्रोपर्टी...??*

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नये कृषि कानून को लेकर केंद्र के खिलाफ किसानों का आंदोलन 76 दिनों से जारी है। वहीं केंद्र और किसान दोनों अपनी-अपनी बातों पर अड़े हुये है। कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। किसान आंदोलन में कई तरह की बातें सामने आ रही थी कि आंदोलन करने वाले प्रदर्शनकारी गरीब नहीं है। ये तो अमीर किसान है बिचौलिया या फिर आढ़ती है। लेकिन भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। ये खुलासा उनकी संपत्ति से जुड़ा हुआ है।


रिपोर्ट खुलासे के मुताबिक, 4 राज्यों के 13 शहरों में राकेश टिकैत की 80 करोड़ की संपत्ति है। जैसे, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र, मुजफ्फरनगर, ललितपुर, झांसी, लखीमपुर खीरी, बिजनौर, बदायूं, दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, देहरादून, रूड़की, हरिद्वार और मुंबई शामिल हैं। आपको बता दें कि राकेश टिकैत खुदको किसान बताते हुये आये है। वे कहते है कि वह किसानों के हक की लड़ाई लड़ने का दावा करते है। साथ ही किसान आंदोलन का चर्चित चेहरा भी बन कर उभर चुके है।


भारत में किसानों की हालत खराब है। ये बात किसी से छुपी नहीं है कि दयनीय हालत के कारण आये दिन कहीं न कहीं किसान आत्महत्या कर रहे है। ऐसे में खुदको किसान नेता और किसानों का मसीहा बताने वाले राकेश टिकैत के पास इतनी संपत्ति होना सवालिया निशान खड़े करते है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 100 में से 52 किसान ऐसे हैं, जिनपर औसतन 1 लाख 40 हजार रुपए का कर्ज है। साल 2019 में 10 हजार किसानों ने आत्महत्या की। 76 प्रतिशत किसान ऐसे हैं, जो अब खेती छोड़ना चाहते हैं। गांवों में सिर्फ 1 प्रतिशत युवा ही ऐसे हैं, जो किसान बनना चाहते हैं।


*किसानों के हित के लड़ाई के लिए कई बार राकेश टिकैत जा चुके है जेल*


51 साल के राकेश टिकैत की शादी साल 1985 में सुनीता देवी से हुई थी और उनके तीन बच्चे हैं। एक बेटा जिसका नाम चरण सिंह है और दो बेटियां सीमा टिकैत और ज्योति टिकैत है। राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल थे। जिसके बाद वे किसान नेता बने। पिछले लगभग तीन दशक में किसानों के हित की लड़ाई लड़ते हुए वह दर्जनों बार जेल गए। कभी मध्य प्रदेश, कभी राजस्थान तो कभी दिल्ली में आंदोलनों के दौरान उन्हें गिरफ्तार किया गया। ज्यादातर मौकों पर तो उन्हें गिरफ्तारी के तत्काल बाद रिहा कर दिया गया, लेकिन मध्य प्रदेश में किसानों की भूमि के अधिग्रहण के विरोध में चलाए गए आंदोलन के दौरान उन्हें सवा महीने से अधिक समय तक जेल में रहना पड़ा।

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