मनीष गौतम रीवा
तंत्र के देवता श्री काल भैरव का जन्मोत्सव आज पूरी करेंगे मनोकामना
मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 7 दिसंबर को काल भैरव जयंती के रूप में मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि 7 दिसंबर शाम 6:47 बजे से 8 दिसम्बर शाम 5:17 बजे तक रहेगी। भगवान काल भैरव को भगवान शिव का पांचवा रौद्र अवतार माना जाता है। काल भैरव को तंत्र का देवता भी माना जाता है। इसी कारण से इस दिन काल भैरव की पूजा से भूत, प्रेत और ऊपरी बाधा जैसी समस्याएं भी समाप्त होती है। काल भैरव को काले कुत्ते का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए उस दिन काले कुत्ते को दूध पिलाने से कष्टो का निवारण होता है।
ज्योतिषाचार्य मनीष गौतम ने बताया कि भैरव अष्टमी के दिन व्रत और पूजा उपासना करने से शत्रुओं का नाश होता है। इस दिन भैरव बाबा की विशेष पूजा-अर्चना करने से सभी पाप समाप्त होते हैं। जिन लोगों की कुंडली मे काल सर्प दोष है या मंगल ग्रह से पीड़ित है, अथवा राहु के प्रकोप से ग्रसित है, उन्हे काल भैरव की पूजा अष्टमी की रात्रि करना चाहिए। काल भैरव रात्रि के देवता माने जाते हैं। इनकी आराधना रात्रि में ही कि जाती है। भैरव के नाम के जप मात्र से मनुष्य को कई रोगों से मुक्ति मिलती है, तथा ऊपरी बाधओं से भी छुटकारा मिलता है। भैरव की पूजा में काली उड़द और उड़द से बने मिष्ठान इमरती, दही बड़े व नारियल चढ़ाना लाभकारी होता है। इससे भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं।
शिव के रौद्र रूप से हुई काल भैरव की उत्पत्ति
काल भैरव की उत्पत्ति के पीछे पौराणिक कथा है। काल भैरव शिव के क्रोध के कारण उत्पन्न हुए थे। एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात को लेकर काफी बहस हो गई कि उन तीनों में कौन ज्यादा श्रेष्ठ है। तब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा की जिस कारण भगवान शिव क्रोधित हो गए, उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया, जिससे काल भैरव की उत्पत्ति हुई।
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