*केंद्र सरकार के लिए गले की फांस बन गया नया कानून*
*देश के अन्नदाताओं ने खोला मोर्चा, दिल्ली पर निगाहें*
मनीष गौतम की कलम से
रीवा/* अपने आपको सर्वश्रेष्ठ इतिहास पुरुष साबित करने की सनक ने आज हमारे देश को दोराहे पर लाकर खड़ा कर दिया। बिना सोचे-समझे अपने उद्योगपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ने वाली मोदी सरकार को देश के अन्नदाताओं ने आईना दिखाने का साहस किया है। केंद्र सरकार के लिए लोकसभा और राज्यसभा से पास कराया गया नया कृषि कानून बिल गले की फांस बन गया है। योजनाबद्ध तरीके से देश की बागडोर चंद पूंजीपतियों के हाथों में देने की मंशा पर काम करने वाली मोदी सरकार को किसानों ने जोरदार झटका धीरे से दिया है। केंद्र सरकार के किसान विरोधी बिल ने देश भर में में रहने वाले अन्नदाताओं को एकजुट करने का काम कर दिया है। देश की राजधानी दिल्ली में किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित देश के कोने-कोने में रहने वाला किसान जाग उठा है। पूरे देश की निगाहें दिल्ली में पिछले आठ दिनों से चल रहे किसान आंदोलन पर टिकी हुई हैं। पिछले छः साल में पहली बार मोदी सरकार को आईना दिखाया गया है। दिल्ली में हजारों किसान आंदोलन में जुटा हुआ है। देश भर में घर घर किसान आंदोलन की चर्चाएं होने लगी हैं।
*रीवा में फूंका गया मोदी-अंबानी-अडाणी का पुतला*
किसान विरोधी बिल को लेकर पूरा देश एक नजर आने लगा है। अपनी-अपनी जगह पर रहकर ही किसानों के आंदोलन को समर्थन देने आवाज बुलंद की जा रही है। इसी क्रम में विंध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालय रीवा में किसानों का समूह सड़क पर उतर आया है। किसान महापंचायत का आयोजन करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी, उद्योगपति अंबानी और अडाणी का संयुक्त पुतला किसानों ने फूंका। यही हालत सतना जिले में बनती हुई नजर आ रही है। नये कृषि बिल को रद्द कराने की एक सूत्रीय मांग को लेकर देश का किसान सड़कों पर आ गया है। पहली बार मोदी सरकार भी किसान आंदोलन के कारण तनाव में नजर आने लगी है। अपने स्तर पर केंद्र सरकार किसानों को पुचकारने में लगी हुई है पर उसे सफलता मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है।
*भारत बंद का किया ऐलान, केंद्र सरकार हुई परेशान*
किसान विरोधी बिल के मामले में देश के हालात लगातार बदलते जा रहे हैं। समाज में रहने वाले हर तबके के लोग किसान आंदोलन के सर्मथन में उतर रहे हैं। 130 करोड़ भारतियों का पेट भरने वाले अन्नदाताओं को न्याय दिलाने के लिए सभी एकजुट हो रहे हैं। मोदी सरकार की हीला हवाली को देखते हुए किसानों ने भारत बंद का ऐलान किया है। आठ दिसंबर को किसानों ने भारत बंद बुलाया है। इसके साथ ही देश भर में लोडिंग वाहनों के पहिए थमने वाले हैं। किसानों के भारत बंद आह्वान को सभी संगठन बढ़-चढ़कर सर्मथन दे रहे हैं। केंद्र सरकार और किसानों के बीच मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। भारत बंद का ऐलान केंद्र सरकार की फजीहत और बढ़ा देगा। किसानों के आंदोलन पर सियासतदारों की नजरें गढ़ी हुई हैं। आगामी मंगलवार 08 दिसंबर 2020 को किसान विरोधी बिल के विरोध में भारत बंद का देश व्यापी आयोजन किया जा रहा है। देशवासियों का पेट भरने वाले किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाने की मंशा से काम करने वाली मोदी सरकार को किसानों की एकजुटता ने दिन में तारे दिखा दिए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी, गहमंत्री अमित शाह सहित पूरी केंद्र सरकार पसोपेश में चल रही है
*अन्नदाताओं पर प्रहार, अब नहीं चलेगा सरकार*
दिल्ली आंदोलन की आंच मध्य प्रदेश के विंध्य प्रदेश में भी पहुंच गयी है। मोदी, अंबानी और अडाणी का पहली बार संयुक्त पुतला दहन रीवा में किया गया। एडवोकेट शिवसिंह, किसान नेता सुब्रत मणि त्रिपाठी सहित जिले के अन्य सैकड़ों किसान सड़कों पर आ गए हैं। नौबस्ता कांग्रेस मंडल अध्यक्ष प्रदीप त्रिपाठी ने किसानों के आंदोलन का सर्मथन करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने अन्नदाताओं पर जो प्रहार अपने हिटलरी नये कानून में किया है, उसे भारत देश की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। किसानों की इस लड़ाई में पूरा देश उनके साथ खड़ा हुआ है। छः साल में पहली बार मोदी-शाह की जुगल जोड़ी को किसानों ने ही आईना दिखाने का काम किया है। वहीं ग्राम जोन्हीं निवासी किसान अशोक पयासी ने कहा कि जय जवान जय किसान का नारा चरितार्थ करने का समय आ ही गया है। वक्त की आवाज वेब न्यूज चैनल के वरिष्ठ प्रतिनिधि अशोक पयासी ने कहा कि हिटलरपन पर उतारू मोदी सरकार की अक्ल ठिकाने लगाने का काम हमारे देश का किसान ही कर रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार बिल के विरोध में जो किसानों का आंदोलन दिल्ली में चल रहा है, उसमें भागीदारी करने के लिए यहां से भी किसानों का जत्था जल्द रवाना होने वाला है।
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