*नगर में बेखौफ अपराधी चोर गिरोह निरन्तर रहा सक्रिय*
*शिक्षा के मन्दिर को चोरों ने बनाया निशाना*
*पुलिस के निकम्मेपन की बजह से लोगो की जानमाल असुरक्षित*
**रात्रि में शासकीय शिक्षण संस्थान बना नशे का अड्डा*
मऊगंज- पिछले कई वर्षों से मऊगंज नगर चोर उच्चको गुण्डे मबालियों के हवाले है।
यहां पर जहाँ चोरों के निशाने पर लोगो की निजी सम्पत्ति रही तो वहीं सरकारी संपत्ति को भी पचाने में पीछे नही रहे।
लगभग सैकड़ो बड़ी चोरियां हुई लेकिन पुलिस इसका खुलासा करने का कभी भी ठोस पहल प्रयास नही किया जिसका नतीजा यह हुआ कि नगर में परसों रात्रि प्रेक्टिकल लैब में ही धावा बोल दिया।
और वहाँ दस लाख से भी ज्यादा के प्रायोगिक उपकरण ले उड़े जिस सामग्री को बेमतलब का समझा उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया प्राचार्य द्वारा कल चोरी की इस वारदात की रिपोर्ट मऊगंज थाना
में दर्ज कराई है।
चोर गिरोह का एक सदस्य लोगो की निशानदेही पर पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। जिससे चोरी को लेकर पुलिस की पूंछताछ जारी है। यहाँ पर स्थिति तब और भयावह हो जाती है। जब पुलिस के जिम्मेदार होने बाले अपराध में लगाम लगाने की बजाय इस तरह से घटित जघन्य अपराधों को ही अपनी कमाई का जरिया बना लेते हैं।
जिससे अपराध के रोकथाम की सारी सम्भावना क्षीण हो जाती है।
सच्चाई तो यह है कि पिछले पांच वर्षों से मऊगंज की जनता की जानमाल भगवान भरोसे है।
यहाँ पर निरीक्षक शैलेन्द्र भार्गव और आदित्य प्रताप सिंह दो ऐसे थाना प्रभारी जिनके समय पर अपराधी भूमिगत हो गये थे।
जिनका नाम आज भी मऊगंज के लोगो के जुबान पर बड़े आदर और सम्मान से लिया जाता है।
लेकिन इन दोनों के जाने के बाद एक भी थाना प्रभारी ऐसा नही आया जिसने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन किया हो।
यहाँ पर मऊगंज पुलिस जनता के द्वारा पकड़े गये अपराधियों को पुलिस के हबाले करने पर ही अपनी सफलता दिखाई है।
लेकिन इन सबके बीच दुखद बात यह रही बेखौफ अपराधियों से डरी सहमी जनता की फिक्र न तो शासन को है और न तो प्रशासन को है।
स्थिति यह है कि एक के बाद होने बाली घटनाओं को दर्ज करना ही मऊगंज पुलिस अपना काम समझती है। न कि वह अपराध के सफाए कोशिश करती हो।
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उमेश मिश्रा संपादक |
ऐसी जनचर्चा है कि चोर गिरोह चोरी का माल कबाड़ की दुकानों में पचा रहा है।
लेकिन पुलिस कभी भी चोरों से चोरी का माल कहाँ हजम हुआ उगलवाने में विफल रही और न ही उसने कभी कबाड़ की दुकानों की जांच पड़ताल किया।
*पुलिस की गस्त हमेशा रही सन्देह के घेरे में*
मऊगंज पुलिस की पैदल गश्त काल्पनिक हो गया है। जब दिन में ही सिर्फ शासकीय बाहन से चहल कदमी तक सीमित रही है।
तो रात्रि में कैसी गस्त होती होगी वह किसी से छुपा नही क्योंकि पुलिस बाहन सड़क पर फर्राटा मारती है।
और जहाँ से वह बाजार की सड़कों में गुजरती है।
वही पर इन सड़क की दुकानों में चोर गिरोह अपना काम करके निकल जाता है।
पुलिस की इस तरह की कार्यशैली में गली मोहल्ले में चोरी होना बड़ी बात नही होगी।
उसकी नजर अगल बगल की गतिविधियों पर नही होती।
*दिन दहाड़े सार्वजनिक स्थल स्कूल कालेज के समक्ष नशेड़ी असमाजिक तत्वों का लगा रहता है जमावड़ा मऊगंज कालेज हायर सेकण्डरी स्कूल बायपास में महिलाएं सबसे ज्यादा कर रही असुरक्षित महसूस जब पर उनके साथ छिटाकसी आम बात हो गई है तो कभी कभार छेड़छाड़ का शिकार हो जाती है। लेकिन पुलिस के प्रति नकारात्मक सोच की बजह से लोकलाज के चलते वह इसको नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन इस तरह की अराजक स्थिति को लेकर इसी तरह से संवेदनहीन रहा तो किसी भी दिन बड़ी घटना घटित हो सकती है।*
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