*पूर्व मंत्री राजेश मूणत फर्जी अश्लील सीडी कांड का मामला*
*सुप्रीम कोर्ट में भूपेश बघेल की राजशाही का फैसला 14 दिसम्बर को*
*क्या भूपेश बघेल को बचा पाएगी अमित शाह से मुलाकात?*
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15 वर्ष बाद भाजपा के शासन पर ब्रेक लगाकर छत्तीसगढ़ की जनता ने स्टेयरिंग संभालने का मौका कांग्रेस को दिया। लेकिन कांग्रेस के पायलट बने भूपेश बघेल की गाड़ी पर भी रोक लगने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। आप सभी को ध्यान होगा अक्टूबर 2017 का फर्जी सीडी कांड मामला। जनाब भूपेश उस सीडी कांड के मास्टर माइंड हैं। इन्हीं के इशारों पर इनके साले विनोद वर्मा ने पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री राजेश मूणत के खिलाफ फर्जी अश्लील सीडी बनवाकर इस मामले को तूल दिया था। लेकिन अब जब इस पूरे मामले की जांच हुई तो भूपेश बघेल सहित चार अन्य साजिशकर्ताओं पर केस दर्ज हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अब इस केस की फाइनल सुनवाई 14 दिसम्बर 2020 को होने वाली है। खास बात यह है कि जिस समय भूपेश बघेल ने इस साजिश को अंजाम दिया था, उस समय वे विपक्ष के नेता थे और आज जब सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने को है तब वो प्रदेश के मुखिया की कुर्सी पर बैठे हुए हैं। बड़ा अजीब लगता है जब कोई राजनेता सत्ता हासिल करने के लिए किसी दूसरे नेता के चरित्र हनन को लेकर इस तरह की राजनीति करता है। लेकिन कहते हैं समय तो बदलता रहता है। समय बदला और आज भूपेश बघेल खुद को कटघरे में खड़ा देख रहे हैं। पिछले दिनों भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। राजनीति से जुड़े सहाफी इस पूरी मुलाकात को फर्जी सीडी कांड मामले से जोड़कर देख रहे हैं। जहां भूपेश ने शाह से यह निवेदन किया होगा कि किसी तरह से उन्हें इस संकट से बाहर निकालने में वो उनकी मदद करें। खैर अब ये तो आने वाला वक्त बताएगा कि शाह और बघेल की मुलाकात में कितना सामंजस्य था और शाह किस हद तक उनकी मदद करते हैं। इतना ही नहीं, बघेल के इस कारनामे की भनक कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी लग चुकी है और उन्होंने इसको लेकर नाराजगी जाहिर की है। तभी उन्होंने बघेल द्वारा मुलाकात का वक्त मांगे जाने पर भी मुख्यमंत्री से मुलाकात करना मुनासिब नहीं समझा था। देखने वाला वाक्या यह होगा कि सीडी कांड की सुनवाई के बाद यदि फैसला बघेल के विपक्ष में आता है तो कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री पद पर बघेल को बरकरार रखेगी या फिर किसी नए चेहरे की तलाश करेगी। फैसला आने के बाद निश्चित तौर पर भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना ही होगा। ऐसे में नए मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए टीएस सिंहदेव, चरणदास महंत, ताम्रध्वज साहू प्रमुख दावेदार हो सकते हैं। गौरतलब है कि भूपेश बघेल का बतौर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ में लगभग 24 महीने का कार्यकाल हो गया है। कह सकते हैं कि सिर्फ 6 माह का समय बचा है। क्योंकि जब भूपेश बघेल को छग को सीएम बनाया गया था तब यही शर्त रखी गई थी कि बघेल का कार्यकाल केवल ढाई वर्ष का ही रहेगा बाकी ढाई वर्ष किसी अन्य को सीएम बनाया जाएगा। देखा जाए तो बघेल के शासन में प्रदेश में सिर्फ भ्रष्टाचार, तानाशाही, अराजकता ही दिखाई देती है। आईएएस अफसरों से लेकर पुलिस के उच्च अधिकारियों पर भी भूपेश बघेल का शिकंजा नहीं है और सभी अपनी इच्छानुसार काम करते आ रहे हैं। आपको बता दें कि भूपेश बघेल के खिलाफ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में 2019 से चल रहा है।
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