मनीष गौतम रीवा
शिव योग में 25 दिसंबर को गीता जयंती व तुलसी पूजन, मनाई जाएगी मोक्षदा एकादशी
भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से वर्णित ग्रंथ श्रीमद् भगवत गीता को जयंती के तौर पर मनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। गीता जयंती प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। कुरुक्षेत्र में महाभारत के दौरान भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाया गया गीता ज्ञान काे 5157 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। गीता का पाठ एकादशी के दिन सुनाया गया था, इसलिए इसका नाम मोक्षदा एकादशी पड़ा। इस वर्ष गीता जयंती 25 दिसंबर शुक्रवार को शिवयोग में मनाई जाएगी। बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य पंडित मनीष गौतम के अनुसार कौरवों और पांडवों के युद्ध के समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। गीता के अंदर कुल 18 अध्याय हैं, जिनमें से 6 अध्याय कर्म योग के, 6 अध्याय ज्ञान योग और अंतिम 6 अध्यायों में भक्ति योग के उपदेश दिए गए हैं। गीता जयंती के दिन गीता को सुनना और पढ़ना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। इसी दिन एकादशी तिथि का प्रारंभ 24 दिसंबर रात 11:17 से होगा, जो कि अगले दिन 25 दिसंबर रात 1:54 तक रहेगी। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है। व्रत करने वाले व्यक्ति को काम, क्रोध, मोह, लोभ से दूर रहकर भगवान श्री हरि की अनंत भक्ति करना चाहिए। धर्म ग्रंथों में किसी भी पुस्तक या ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती, लेकिन गीता का प्रादुर्भाव कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को उपदेश देते हुए भगवान श्री कृष्ण के मुखारविंद से हुआ था। इसलिए हिंदू धर्म में गीता जयंती मनाने की परंपरा है। गीता एक सार्वभौमिक ग्रंथ है।
ब्रह्म पुराण में श्रीकृष्ण ने गीता के बहुत सारे प्रकार बताए हैं। श्रीमद् भागवत गीता श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को सुनाई गई। वशिष्ठ गीता ऋषि वशिष्ठ ने राम को सुनाई। अष्टावक्र गीता में अष्टांग योग का वर्णन किया गया। उद्धव गीता उद्धव ने गोपियों को सुनाई
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