मनीष गौतम रीवा
सुखी दांपत्य जीवन के लिए सुहागिनें रखेंगी व्रत महिलाएं जमकर कर रही है खरीददारी
। दुर्गोत्सव के बाद करवाचौथ प्रमुख त्योहार में से एक है। कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि को देशभर में करवाचौथ मनाया जाता है। राजधानी रांची में विशेष रूप से मारवारी और पंजाबी समाज त्योहार मनाते हैं। सुहागिनों के लिए त्योहार का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, यश कीर्ति व सफल दांपत्य जीवन की कामना से दिनभर का निर्जला उपवास करती हैं।
संध्या में चंद्रमा को अघ्र्य देने के साथ व्रत पूर्ण होता है। यही ऐसा व्रत है जो सिर्फ सुहागिन महिलाएं ही करती हैं। इस बार करवाचौथ चार नवंबर को है। त्योहार में अभी सप्ताह भर बचा है। घरों में पूजा की तैयारी चल रही है। खासकर पहली बार व्रत रखने वाली नवविवाहिताओं में खासा उत्साह है। हालांकि, हर आयु वर्ग की महिलाएं अपने-अपने अंदाज में त्योहार मनाने में जुटी हुई है।
चंद्रदेव के साथ शिव परिवार की होती है पूजन
करवाचौथ के दिन चंद्रदेव के साथ-साथ शिव-पार्वती सहित पूरे परिवार की विशेष पूजा अर्चना होती है। विशेषकर भगवान गणेश के भाल चंद्र रूप की पूजा अर्चना होती है। रात में चंद्रदेव को अघ्र्य देने के उपरांत ही जल ग्रहण किया जाता है। इस दौरान महिलाएं निराहार रहती हैं। पंडित कृष्ण कांत मिश्रा के अनुसार करवाचौथ का व्रत हर आयु वर्ग की सुहागिन महिलाएं रख सकती हैं। रांची में चंद्रोदय का समय 7.57 बजे होगा। वहीं, पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05.34 बजे से शाम 06.52 बजे तक है।
क्या कहती हैं महिलाएं
विवाह के बाद ये मेरा पेहला व्रत है। मन में काफी उत्साह है। अभी से पूजा की तैयारी में जुट गई हूं। ससुराल और मायके से तो तौहफा मिलेगा ही अपने हिसाब से भी जमकर खरीददारी का प्लान है। ऐसे तो प्रति पल अपने सुहाग के सलामती की कामना करती हूं लेकिन पहली बार विधि-विधान पूर्वक व्रत करूंगी। पति से आशीर्वाद लेने के बाद व्रत पूरी करूंगी। - भावना पांडेय रीवा
शादी के बाद 13 करवाचौथ को लेकर मन में जहां उत्साह है वहीं एक घबराहट भी है कि कैसे पूजा संपन्न होगी। कहीं कोई कमी न रह जाएं। हालांकि, बचपन से ही मां को पूजा करते देखती आयी हूं। इसका लाभ मिलेगा। मेरे लिए यह सिर्फ एक व्रत नहीं बल्कि खास दिन है। इस दिन को बेहतरीन तरीके से सेलिब्रेट करूंगी। जमकर खरीददारी भी होगी। करवाचौथ के दिन पूरा परिवार एकसाथ खुशियां मनाएंगे। - सरिता छत्तीसगढ़।
यह मेरा तीसरा करवाचौथ है। इसको खूब इंज्वाई करती हूं। पूरा परिवार जब साथ होता है तो त्यौहार की खुशियां चारगुना हो जाती है। हालांकि, इस बार कोरोना संक्रमण के कारण आसपास की महिलाएं एकसाथ नहीं जुट पायेंगी। इसके बावजूद मस्ती में कोई कमी नहीं रहने दिया जाएगा। पूजा-अर्चना से निवृत होने के बाहर घूमने जाने का प्लान है। नेहा रीवा ।
शादी के प्रथम करवाचौथ में जो उत्साह था वही उत्साह आज 15वें करवाचौथ को लेकर भी है। समय के साथ परंपराएं कहीं न कहीं और मजबूत हुई है। त्यौहार ग्लोबल हुए हैं। पहले यह पर्व कुछ खास वर्ग तक ही सीमित था। अब हर ओर त्यौहार की खुशियां देखने को मिलता है। करवाचौथ भारतीय संस्कृति में पति के लिए पत्नी के समर्पण भाव को दर्शाता है। - एक गृहणी।
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