मनीष गौतम रीवा
शरद पूर्णिमा की रात, आसमान से होगी अमृत की बरसात
आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को सनातन धर्म मेें शरद पूर्णिमा की मान्यता है। पूर्णिमा इस बार दो दिन पड़ रही है। पहले दिन 30 अक्टूबर को आरोग्य-ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि कामना का पर्व शरद पूर्णिमा व कोजागरी महोत्सव मनाया जाएगा। दूसरे दिन 31 अक्टूबर को स्नान-दान, व्रत के साथ ही कोजागरी व्रत की पूॢणमा भी मनाई जाएगी। इसके साथ ही कार्तिक पर्यंत चलने वाले स्नान-दान, व्रत, यम-नियम का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसका समापन 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर होगा।
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष गौतम के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम 5.26 बजे लग रही है जो 31 अक्टूबर को शाम 7.31 बजे तक रहेगी। शास्त्र सम्मत है कि शरद पूर्णिमापर प्रदोष व निशीथ काल में होने वाली पूॢणमा ली जाती है। वहीं कोजागरी व्रत पूॢणमा निशीथ व्यापिनी होनी चाहिए। अत: शरद पूर्णिमा और कोजागरी व्रत की पूर्णिमा 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में सिर्फ एक बार शरद पूॢणमा पर ही चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त होता है। आयुर्वेद शास्त्र ने नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना है। मान्यता है कि इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार शरद पूर्णिमा की सुबह आराध्य देव को श्वेत वस्त्राभूषण से सज्जित कर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन-अर्चन करना चाहिए। रात में गाय के दूध की घी-मिष्ठान मिश्रित खीर प्रभु को अॢपत करनी चाहिए। मध्याकाश में स्थित पूर्ण चंद्रमा का पूजन करना चाहिए।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार हो पृथ्वीलोक पर भ्रमण के लिए आती हैं और पूछती हैं- 'को जागृयेति'। व्रत व भजन-पूजन के साथ रतजगा कर रहे भक्तों को यश-कीर्ति व समृद्धि का आशीष देती हैं। इस पूजा को 'कोजागरी उत्सव' के नाम से जाना जाता है।
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