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रीवा: आखिर ADM इला तिवारी को गृह जिला क्यों मिला ? पढ़िए पूरी खबर…

मनीष गौतम रीवा 


रीवा: आखिर ADM इला तिवारी को गृह जिला क्यों मिला ? पढ़िए पूरी खबर…


रीवा। जब सरकार की व्यवस्था में ही पोल है तो फिर मातहतों का दोष देना ही बेकार है। वैसे तो आमजनों एवं सामान्य कर्मचारियों के लिए शासन के बहुत सारे नियम कायदे बने हुए हैं जिन्हें हर छोटे और बड़े कर्मचारी को फालो करना उनका कर्तव्य माना गया है। यदि कोई अधिकारी-कर्मचारी शासन के नियमों का पालन नहीं करता उनके कठोर कार्रवाई करने का प्रावधान है।
शासन के नियमों उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर करने का प्रावधान है। उसे नौकरी से बाहर किया जा सकता है। उसके खिलाफ कदाचरण उल्लंघन का दण्ड प्रावधानित किया जा सकता है। ऐसा ही एक प्रावधान शासन का है जिसमें कोई भी कर्मचारी-अधिकारी अपने गृह जिले में पदस्थ नहीं किया।

शासन का इसके पीछे मत हो सकता है कि यदि कोई कर्मचारी-अपने गृह जिले में पदस्थ होगा तो वह पक्षपातपूर्ण कामकाज करेगा जिससे शासन-प्रशासन की निष्पक्षता भंग होगी और आम लोगों में शासन की विश्वसनीयता-पारदर्शिता नहीं बन पाएगी। लेकिन रीवा जिले में अपर कलेक्टर के पद पर पदस्थ इला तिवारी पर कोई नियम शासन के लागू नहीं हो रहे हैं। जबकि रीवा उनका गृह जिला है।


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उनके लालन-पालन से लेकर शिक्षा-दीक्षा रीवा जिले में ही हुई है। रीवा जिले में डिप्टी कलेक्टर पद पर पदस्थाना के बाद से आज तक वह लगातार कई वर्षो से कार्यरत हैं और समय-समय पर उनकी कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह भी उठ रहे हैं फिर भी सरकार सभी नियम-कायदों को दरकिनार करते हुए उन्हें अभयदान प्रदान किये हंै


पारवारिक विवादों में हस्तक्षेप का आरोप


इला के गृह जिले में पदस्थ होने के पारिवारिक विवादों को बढ़ावा मिला है। उनके द्वारा पद का दुरुपयोग करते हुए पक्षपातपूर्ण कार्य करने का आरोप लगाया गया है। कई बार शिकायतें शासन-प्रशासन स्तर पर की गई लेकिन कोई बाल बाका नहीं हो सका। इस बीच कई कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर सहित अन्य कर्मचारी आये और चले गये इला अपने स्थान में आज भी पदस्थ हैं।


इला का पांव नहीं हिला


रामायण में एक प्रसंग आता है कि एक बार अंगद लंका पहुंचकर रावण की सभा में अपना पांव जमा दिया और सभासदों को चुनौती दे डाली कि अगर कोई सूरवीर हो जो मेरे पांव हिला दे। ऐसे ही रीवा कलेक्ट्रेट में इला ने अपना पांव जमा दिया है जो कोई हिला नहीं पा रहा है। जबकि जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाए जा रहे हैं। अधिकारी-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पक्षपातपूर्ण है। इस संबंध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता लालमणि त्रिपाठी ने शिकायत करते हुए जांच की मांग की है।


रीवा में कलेक्टर बनकर सेवा निवृत्त हो सकती हैं इला?


अपर कलेक्टर इला तिवारी की कर्मठ कार्यप्रणाली को देखते हुए ऐसा माना जा सकता है कि वह रीवा जिले में कलेक्टर पद पर पदस्थ हो सकती हैं। आने वाले समय में उनकी पदोन्नति की जा सकती है और भविष्य में यही से सेवा निवृत्त भी हो सकती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, कारण कि उनकी कर्मठता को देखते हुए शासन को इनसे उपयुक्त रीवा जिले के लिए कोई दूसरा अधिकारी नहीं मिल सकता? यही कारण है कि इनकी पदस्थापना लगातार यहीं रहेगी।


लालमणि ने सौंपा ज्ञापन


प्रशासनिक अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से जिले भर के लोग परेशान हैं। इस मामले को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता लालमणि त्रिपाठी ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन संभागायुक्त को सौंपा है। जिसमें उनके द्वारा अपर कलेक्टर इला तिवारी की मनमानीपूर्ण कार्रवाई का उल्लेख किया है। उन्होंने बताया कि इला तिवारी की पदस्थापना गृहग्राम जिले में काफी समय से है। इला तिवारी सेवा निवृत्त उपायुक्त राजस्व रीवा संभाग नवीन तिवारी की पुत्री हैं, जो पाण्डेन टोला रीवा की मूल निवासी हैं। इनकी गृहग्राम जिले में पदस्थापना को लेकर कई बार शिकायतें की गई लेकिन इन्हें हटाया नहीं गया। लालमणि त्रिपाठी ने तत्काल हटाये जाने की मांग की है।


संभागायुक्त ने दिया जांच का आश्वासन


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद सदस्य कामरेड लालमणि त्रिपाठी सहित अन्य ने संभागायुक्त डा. राजेश कुमार जैन को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें मांग की गई कि अपर कलेक्टर इला तिवारी की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाय और कमेटी में उच्च स्तर के अधिकारियों को रखा जाय। ताकि मामले की जांच निष्पक्षता के साथ की जा सके। संभागायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द जांच कराने का आश्वासन दिया है।


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