मनीष गौतम
अद्भुत महाकाली मंदिर जहां होती हैं सारी मन्नते पूरी
विंध्याचल हमेशा से ही भक्ति और साधना का केंद्र रहा है यही पर विंध्य पर्वत पर माँ काली के रूप में माँ विराज मान है कहते है माँ का यह रूप पुरे विश्व में कही देखने को नहीं मिलता है खेचरी मुद्रा ( मुख आसमान की तरफ ) में विराजमान माँ काली अंत काल से भक्तो की हर मनोकामना पूरी करती है मिर्जापुर के प्रसिद्ध विंध्यधाम में त्रिकोण मार्ग पर स्थित माँ काली का मंदिर है जिस स्थान पर माँ विराजमान हैं। उसे काली खोह कहते हैं।
महाकाली का मंदिर स्वर्गलोक से लेकरं धरती लोक तक के कई राज अपने अन्दर समाये हुए है माँ का ये विशाल रूप कही और देखने को नहीं मिलेगा। बताया जाता है की जब रक्त वीज दानव ने स्वर्ग लोक पर कब्जा जमाकर सभी देवताओं को स्वर्ग लोक से खदेड़ दिया था तभी ब्रम्हा . विष्णु , महेश सहित देवताओं की प्राथना पर माँ विंध्यवासिनी ने काली का ऐसा रूप धरा। जिसमे उनका मुंख आसमान की तरफ खुला है।
क्योकि रक्तबीज नामक दानव को ब्रम्हा जी का वरदान था की अगर तुम्हारा एक बूँद रक्त धरती पर गिरेगा तो उससे लाखो दानव पैदा होंगे ! इसी दानव का वध करने के लिए उसका खून धरती पर न गिरे जिससे दानव पैदा हो सके ! महा काली ने रक्त पान करने के लिए अपना मुख खोल दिया और अपनी जिह्वा को रणक्षेत्र बना कर रक्तबीज नामक दानव का बध किया ! तभी से माँ का ऐसा रूप. है कहते है माँ काली के मुख में कुछ भी डाले उसका पता नहीं चलता साथ ही यहाँ पर मान्यता है की जो भी भक्त माँ काली के दरबार में मन्नतो का धागा बानाता हैउसकी सभी मनो कमाना माँ पूरी करती है और मनोकमाना पूरी होने पर भक्त यहाँ आ कर धागे की गाठ खोलते है।
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