स्मृति शेष 'दादा न होय दऊ आय' जनता याद करती है व्हाईट टाइगर को विंध्य प्रदेश की सियासत में छोड़ी अमिट छाप, नकल करने तक सिमटे आधुनिक जमाने के नेता
मनीष गौतम रीवा
स्मृति शेष 'दादा न होय दऊ आय' जनता याद करती है व्हाईट टाइगर को
विंध्य प्रदेश की सियासत में छोड़ी अमिट छाप, नकल करने तक सिमटे आधुनिक जमाने के नेता
मध्य प्रदेश के सत्ता के सिंहासन पर बैठने वाले राजनैतिक दलों का भविष्य तय करने का काम हम सबका अपना विंध्य प्रदेश करता है। विंध्य प्रदेश की सियासत ने कई दौर के छोटे और बड़े सभी नेताओं का जमाना बखूबी देखा है। हमारे विंध्य प्रदेश को सुनियोजित साजिश के तहत समाप्त करते हुए एक नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश में समाहित कर दिया। इसके बाद से मध्य प्रदेश के सत्ता के सिंहासन पर चाहे कोई भी राजनैतिक दल काबिज हो पर सबसे ज्यादा जिम्मेदारी वाले विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा को सांतवे आसमान तक पहुंचाने का काम जो विंध्य प्रदेश में व्हाईट टाइगर उपाधि से सम्मानित हम सबके चहेते दादा स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी ने किया, वह काम शायद ही कोई दूसरा विधानसभा अध्यक्ष कर पाएगा। मजबूत जनाधार वाले व्हाईट टाइगर को मुंहजबानी तमाम नियम कायदों की एक पारखी की तरह समझ रही, उनकी हाजिर जवाबी का कायल हर राजनैतिक दलों का नेता रहा है। हम सबकी शान और अभिमान रहे विंध्य के कोहिनूर श्रीनिवास तिवारी जैसा मजबूत जनाधार और प्रखर वक्ता की कला से परिपूर्ण कोई दूसरा नेता न दादा के पहले विंध्य में हुआ था और न आने वाले समय में कोई दूसरा होगा। मध्य प्रदेश की विधानसभा में भाजपा और कांग्रेस के कई नेताओं ने अध्यक्ष के दायित्वों को निभाया जरुर है पर हमारे व्हाईट टाइगर जैसी लोकप्रियता कोई हासिल नहीं कर पाया। हमारे देश के बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित अन्य राज्यों की विधानसभा की कार्यवाही के दौरान जब अड़चन सामने आ जाती थी तो उसका निदान दूसरे विधानसभा अध्यक्षो को फोन लगाते ही व्हाईट टाइगर बिना संबंधित किताब देखे ही मुंहजबानी बता दिया करते थे। व्हाईट टाइगर के साथ ही सीधी जिले के कुंवर साहब मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी उसी मजबूत जनाधार पंक्ति के नेताओं में जाने जाते हैं। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विंध्य के व्हाईट टाइगर श्रीनिवास तिवारी की कार्यकुशलता के कायल चारों तरफ रहे। तभी मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खुद सार्वजनिक तौर पर यह कहते थे कि मैं पूरे मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री हूं लेकिन विंध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री व्हाईट टाइगर ही हैं।
अटलजी को दी थी चुनौती
सन् 2003 के विस चुनाव में एक किस्सा आम हुआ था कि, विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए श्रीनिवास तिवारी ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई का प्लेन उतरने नहीं दिया। दरअसल, मामला कुछ हटकर था। उन्होंने अटलजी को रीवा से चुनाव लडऩे की चुनौती दी थी। वजह थी कि, रीवा में अटलजी की सभा के दौरान किसी ने पर्ची में श्रीनिवास की शिकायत दी थी। तब अटलजी ने तंज कसा था कि, श्रीनिवास को सफेद शेर कहते हैं। और, उनसे भयभीत रहते हैं। वो किसी के काम नहीं होने देते।
दादा न हो दऊ आय.....
सन् 1998 के चुनाव में एक जुमला प्रदेशभर में मशहूर हुआ। जो उनके समर्थकों ने ग्रामीण मतदाताओं के बीच से प्रचारित किया। मतदाता चुनाव में उनकी जीत के प्रति अत्यधिक आश्वस्त थे। उनका मानना था, दादा अजेय हैं। लिहाजा बघेली में जुमला चला ‘ दादा न हो दऊ आय, वोट न द्या तऊ आय’
तात्पर्य, दादा नहीं भगवान है, वोट दें या नहीं जीतेंगे वही। और, दादा सचमुच जीत गए। दूसरी बार विस अध्यक्ष बने।
राजनीति के ‘पंडित’ थे श्रीयुत
– चुनाव नहीं लडऩे की उम्र में चुनाव लड़े और जीता, मामला हाई कोर्ट पहुंचा जहां कुंडली लगाकर उम्र साबित की।
– पहले चुनाव में विंध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष यादवेंद्र सिंह से लड़े, वह जीतते तो सीएम होते। उन्हीं से राजनीतिक सीख चुनाव के समय भी लेते रहे।
– स्वास्थ्य मंत्री रहते शिक्षा विभाग की फाइल में हस्ताक्षर कर दिया। सवाल उठा तो बोले कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है, किसी एक विभाग की नहीं।
– मुख्यमंत्री रहे अर्जुन सिंह के खिलाफ आवाज उठाते हुए कहा कि वह भी मंत्री की तरह विधायक हैं, सब कुछ नहीं हो सकते।
– विधानसभा अध्यक्ष रहते कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी भी रहे, कहा कि पार्टी की वजह से विधायक बना और विधानसभा अध्यक्ष। ऐसा करने वाले इकलौता विधानसभा अध्यक्ष रहे।
– देश में पहली बार विधानसभा के भीतर मुख्यमंत्री प्रहर कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें सीएम को अनिवार्यरूप से जवाब देना होता था।
– दस वर्ष के विधानसभा अध्यक्ष कार्यकाल में विधायक डॉ. सुनीलम के अलावा किसी पर मार्शल का उपयोग नहीं किया।
चर्चा में रहे तिवारी के यह बयान
– विंध्य प्रदेश की जनता का मौलिक अधिकार है कि वह अपने भाग्य का निर्णय कर सकें।
– अर्जुन सिंह से मतभेद था, मनभेद नहीं।
– जवानी उम्र से नहीं भावनाओं से आंकी जाती है।
– हमारी सहमति से प्रत्याशी चयन नहीं तो उसके लिए वोट नहीं मांग सकता।
– राजीव गाँधी की सिरमौर चौराहे की प्रतिमा को तोड़ा तो अपने दीनदयाल को नहीं बचा पाएगी भाजपा।
– हां प्रदेश में कांग्रेस की समानांतर अमहिया सरकार है और मैं उसका सीएम हूं।
– तिवारी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि भाजपा सरकार से मिली भगत से काम कर रहे कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष।
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