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पूर्वजों का ऋण उतारने का माध्यम है श्राद्ध इनकी उपेक्षा  करना भारी पड़ सकता है

मनीष गौतम रीवा 

पूर्वजों का ऋण उतारने का माध्यम है श्राद्ध इनकी उपेक्षा  करना भारी पड़ सकता है

 

 

 शास्त्रों में मनुष्यों के लिए  देव -ऋण,  ऋषि-  ऋण,   और पितृ ऋण यह तीन  ऋण बतलाये   गए हैं।मृत पिता आदि के उद्देश्य से श्रद्धा पूर्वक जो प्रिय भोजन दिया जाता है वह श्राद्ध कहलाता है। श्राद्ध करने से कुल मे वीर, निरोगी, शतायु,एवं श्रेय प्राप्त करने वाली संततियाँ उत्पन्न होती हैं-

 

*न तत्र वीरा जायन्ते निरोगी न शतायुष:।*

*न च श्रेयोSधिगत्छन्ति यत्र श्राद्धं विवर्जितम्।।*

 

 इनमें श्राद्ध के द्वारा पितृ ऋण का उतारना आवश्यक है। क्योंकि जिन माता- पिता ने हमारी आयु, आरोग्य और सुख- सौभाग्य आदि की   अभिवृद्धि के लिए अनेक यत्न या प्रयास किए उनके  ऋण    से मुक्त ना होने पर हमारा जन्म ग्रहण करना निरर्थक होता है उनके  ऋण  उतारने में कोई ज्यादा खर्च हो, सो भी नहीं है; केवल वर्ष भर में उनकी मृत्यु तिथि को सर्वसुलभ जल, यव, कुश, और पुष्प आदि से उनका श्राद्ध संपन्न करने और गो ग्रास देकर एक या  तीन, पाँच आदि ब्राह्मणों को भोजन करा देने मात्र से  ऋण  उतर जाता है; अत: इस सरलता से  साध्य होने वाले कार्य की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। इसके लिए जिस मास की जिस तिथि को माता-पिता आदि की मृत्यु हुई हो उस तिथि को श्राद्ध आदि करने के सिवा, आश्विन कृष्ण  (महालय)पक्ष मे भी   उसी तिथि को श्राद्ध- तर्पपण- गो ग्रास और ब्राह्मण भोजन आदि करना कराना आवश्यक है; इससे पितृगण प्रसन्न होते हैं । और हमारा सौभाग्य बढ़ता है। पुत्र को चाहिए कि वह माता-पिता की मरण तिथि को मध्याह्न काल में पुनः स्नान करके श्राद्ध आदि करें और ब्राम्हणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करें ।जिस स्त्री के कोई पुत्र ना हो वह स्वयं भी अपने पति का श्राद्ध उसकी मृत्यु तिथि को कर सकती है। भाद्र पद शुक्ल पूर्णिमा से  प्रारंभ करके आश्विन  कृष्ण  अमावस्या तक 16 दिन पितरों    का तर्पण और विशेष तिथि को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।  इस प्रकार करने से 'पितृव्रत' यथोचित रूप में पूर्ण होता है।

जो इस वर्ष 01/9/2020 से 17/9/2020 तक है।

महालयारम्भ( पितृपक्षप्रारम्भ)

पूर्णिमा श्राद्ध- 1 सितम्बर

प्रतिपदा श्राद्ध-2 सितम्बर

द्वितीय श्राद्ध- 3 सितम्बर

तृतीया श्राद्ध-4 सितम्बर

चतुर्थी श्राद्ध-6 सितम्बर 

पंचमी श्राद्ध- 7 सितम्बर

षष्ठी श्राद्ध- 8 सितम्बर

सप्तमी श्राद्ध-9 सितम्बर

अष्टमी श्राद्ध-10 सितम्बर

नवमी श्राद्ध( मातृनवमी)- 11 सितम्बर

दशमीश्राद्ध- 12 सितम्बर

एकादशी श्राद्ध- 13

द्वादशी श्राद्ध,सन्यासी,यति, वैष्णव जनों का श्राद्ध, -14 सितम्बर

 त्रयोदशी श्राद्ध,   - 15 सितम्बर

 

चतुर्दशी श्राद्ध-16 सितम्बर

अमावस्या श्राद्ध, अज्ञाततिथिपितृश्राद्ध, पितृविसर्जन महालयसमाप्ति- 17 सितम्बर

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