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पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन इस विधि से अपने पितरों को करें विदा

मनीष गौतम रीवा 


पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन इस विधि से अपने पितरों को करें विदा



सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। यह पितरों की विदाई का दिन होता है। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। 17 सितंबर गुरुवार के दिन सर्व पितृ अमावस्या है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की अमावस्या पितृ अमावस्या कहलाती है। 
इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता है और पितृ लोक से आए हुए पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन तथा दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर जाते हैं।


अश्विन अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि शुरू: 19:58:17 बजे से (सितंबर 16, 2020) 
अमावस्या तिथि समाप्त: 16:31:32 बजे (सितंबर 17, 2020)


मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए।  


माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास से नमन कर अपने पितरों को विदा करता है उसके पितृ देव उसके घर-परिवार में खुशियां भर देते हैं। जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम उन्हीं घरों में होते हैं। 



पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर बिना साबुन लगाए स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पितरों के तर्पण के निमित्त सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं। इन्हें घर की चौखट पर रख दें। 



एक दीपक लें। एक लोटे में जल लें। अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं। 
यह करने के पश्चात जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करने जाएं। वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें। पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें।


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