मनीष गौतम रीवा
बार-बार थाना प्रभारियों के तबादले होना बना चर्चा का विषय...
रीवा* पिछले एक माह में जिला पुलिस अधीछक ने आधा दर्जन से ज्यादा तबादला आदेश जारी करके जिले के अधिकांश थानों के टीआइ और प्रभारी बदल दिए, एसआइ से लेकर एएसआइ, हेडकांस्टेबल तक के तबादले कर दिए। लेकिन अब बदले हुए टीआइ और थानों के प्रभारी वे एसआइ को उनके भेजे गए स्थान से बार-बार यहां से वहां किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी एसपी को एक दो माह के अंदर अपने ही आदेश के विरुद्ध आदेश जारी करके संसोधित तबादला लिस्ट निकालनी पड़ रही है। हर बार के आदेश में वे लिखते हैं कि रिक्त स्थानों की पूुर्ति के लिए अस्थाई रूप से अग्रिम आदेश तक के लिए संबंधितों को कार्य में लगाया जा रहा है। बुधवार को एसपी राकेश सिहं ने एक बार फिर नई तबादला सूची जारी की है। अनुशासन को लेकर पहचाने जाने वाले पुलिस विभाग में तबादला आदेशों के बार-बार बदले जाने से एक ओर जहां कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं, वहीं पुलिस विभाग की भी किरकिरी हो रही है। दूसरी तरह तबादलों से प्रभावित हो रहे फिल्ड मे काम करे अमले का मनोबल भी डाउन हो रहा है।
थाने बदलने से अपराध कम होते है ?
किसी थानेदार को ईधर से उधर करना एस पी का विशेषाधिकार है ! लेकिन अब देखने मे आता है की थानेदार या तो कमाउपुत हो, मैनेजदार हो , वारिष्ठ अधिकारी का खास हो, या किसी नेता की सिफरिस हो, उसे ही थानेदारी मिलती है ! थानाछेत्र मे अपराध कम हो या नही, सेटिंग तगडी होनी चहिये ! शराब पैकारी , गाजा, कोरेक्स, सट्टा , जुआँ का करोबार अगर न हो तो थाने की गाडियो मे डीजल के लाले पड जाये ! थानो का मिन्टीनेन्स बिगड जायेगा ! ईसलिय थानेदार नही सोच और नियत बदले! एस पी साहब आप जिले के मुखिया है ! आप ईमानदार हो सकते है पर अाप के जिले की टीम ईमानदार है ? ईसमें संशय है ! जुआँ ,सट्टा ,शराब पैकारी ,कोरेक्स ,गांजा, का अबैध करोबार हर थाना छेत्र मे हो रहा है ! आप की पुलिस सब जानती है पर कार्यवाही मात्र दिखावा साबित हो रही है !
अादित्य प्रताप सिहं की पोस्टिगं रीवा मे अधिक रही! Si से लेकर Ti बनने तक विभिन्य थानो में बतौर थाना प्रभारी रहे ! घुम फिर कर रीवा मे रहने वाले ये पहले पुलिस अधिकारी नही है ! 10-15 सालो से जमे कई पुलिस कर्मी आज भी थानो मे पदस्त है ! तीन साल का जुमला काफी पुराना है !
पुलिस को नहीं दिख रहे जुआ-सट्टा के अड्डे*
प्रदेश सरकार के मुखिया के द्वारा जुआ-सट्टा जैसे सामाजिक अपराध को पूर्णत: बंद करने के कड़े निर्देश दिए जाने के बाद प्रदेश की कई जिलों की पुलिस के द्वारा नामचीन सटोरियोें और जुआरियों को पकड़ कर हवालात में डाला जा रहा है, परंतु रीवा पुलिस को सट्टा और जुआ के अड्डे ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं, जबकि हर क्राइम मीटिंग मे थाना प्रभारियों को सट्टा और जुआ के अवैध धंधे को बंद करने के लिए प्रभावी कार्रवाई के लिए कहा जाता है ! एस पी के निर्देश के बाद कार्रवाई के नाम पर कोरम पूरा किया जा रहा है।
क्राइम मीटिंग में थाना प्रभारियों को सख्त कार्यवाही करने का निर्देश दिए जाते है !पर निचला स्टाफ द्वारा सट्टा-जुआ के खिलाफ के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रहा है। चिन्हित जुआ ,सट्टा , शराब पैकारी , कोरेक्स के अड्डों से पुुलिस ने दूरी बना रखी है। जबकि शहर व ग्रामीण के थाना क्षेत्रों में जुआ और सट्टा के कई कुख्यात अड्डे हैं जहां पर लाखों रुपए के दांव रोजाना लगते हैं, लेकिन पुलिस इन ठिकानों पर जाने से परहेज कर रही है।
जब आम जनता को है पता तो पुलिस कैसे है अंजान
भले ही हर माह मिलने वाली मोटी रकम के कारण पुलिस को सट्टा. जुआ . शराब पैकारी .कोरेक्स के ठिकाने न दिख रहे हों, लेकिन पब्लिक और पुलिस विभाग के कई कर्मचारी इन ठिकानों के बारे में भली-भांति वाकिफ हैं! कई पुलिस कर्मियो की मिलीभगत भी समय समय पर उजागर होती रही है!राजनैतिक पहुंच और पुलिस से सांठगांठ के चलते अवैध कारोबार बाकायदा मौखिक रूप से मिले लाइसेंसी कारोबार के रूप में खुलेआम जिले में संचालित हो रहा है। पुलिस और अबैध कारोबरी की सेटिंग इतनी तगड़ी है कि ऊपर अधिकारियों को दिखाने ये अपने गुर्गों के नाम हर महीने एक दो प्रकरण बनवा देते हैं। ऊपर बैठे अफसरों को लगता है पुलिस कार्रवाई कर रही है। वास्तव में यह सांठगांठ का पहलू होता है।
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