मनीष गौतम रीवा
*अधिक मास 16 अक्टूबर तक / पुरुषोत्तम मास में बन रहा है सुख-समृद्धि बढ़ाने वाला 5 शुक्रवार का संयोग*
*अधिक मास का पहला और आखिरी दिन भी शुक्रवार रहेगा, इस महीने बृहस्पति और शनि का अपनी ही राशि में होना शुभ*
18 सितंबर को शुरू हुआ अधिक मास 16 अक्टूबर तक चलेगा। शुक्रवार और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र एवं कर्मसिद्धि योग के संयोग में शुरू होने वाला ये अधिक मास सुख और समृद्धि बढ़ाने वाला रहेगा, एवं कर्म और प्रयास को सफल करने वाला होगा। इस महीने में 5 शुक्रवार का संयोग बन रहा है। इस महीने में धर्म और ज्ञान का ग्रह बृहस्पति और इसके साथ शनि अपनी ही राशि में रहेगा। इस तरह अन्य ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल होने से ये महीना कई लोगों के लिए शुभ रहेगा।
*अधिक मास में शुक्रवार का संयोग*
अधिक मास का पहला और आखिरी दिन शुक्रवार रहेगा। वहीं इस महीने में 5 शुक्रवार का होना भी शुभ है। जिस महीने में पांच शुक्रवार पड़ते हो वो महीना बहुत ही शुभ माना जाता है।
ज्योतिष संहिता ग्रन्थों में कहा गया है-
*यदि चन्द्रज्ञेज्यशुक्र वासरा: पञ्चपञ्च वै |*
*यस्मिन् मासे प्रजायन्ते तदाशासर्ववस्तुनाम् ||*
अर्थात जिस महीने में पाँच शुक्रवार पड़ते हों तो वह मास बहुत शुभदायक होता है। उसमें समस्त प्रजा की आशाओं की पूर्ति होती है।
महाकवि घाघ की भी कहावत इस विषय पर प्रसिद्ध है-
*विज्ञ विधु गुरु असुरगुरु , पंच पंच जा मास |*
*तो वह मास पवित्र है, सब वस्तुन की आस ||*
इस अधिमास की अमावस्या भी 16 अक्टूबर शुक्रवार को रहेगी। ज्योतिष के संहिता ग्रन्थों में बताया गया है कि अमावस्या शुभ वार को हो तो धन और धान्य के साथ लोगों का सुख भी बढ़ता है।
ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है-
*शुभवारान्विते दर्शे सुभिक्षं च प्रजासुखम्* अर्थात अमावस्या यदि शुभ वार में पड़े तो सुभिक्ष एवं प्रजा के लिए सुखकारी होती है।
*उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्रवार का संयोग*
अधिक मास की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। ये देवी लक्ष्मी का दिन होता है। साथ ही इस दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र भी है। ज्योतिष ग्रंथों में इसे जल्दी फल देने वाला नक्षत्र माना जाता है। इसलिए उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में अधिक मास शुरू होने के कारण इस महीने में समृद्धि और सुख बढ़ेगा। उत्तराफाल्गुनी ध्रुव यानी स्थिर नक्षत्र है। इसलिए इस नक्षत्र में शुरू होने वाले इस महीने में शुभ काम करने से उनका फल और सुख लंबे समय तक मिलता है।
बृहद्दैवज्ञरंजनम् में कहा गया है कि-
आश्विने परचक्रेण तस्करै: पीडिता: प्रजा:|
सुभिक्षं क्षेममारोग्यं दुर्भिक्षं दक्षिणापथे ||
अर्थात् जब आश्विन मास अधिक मास होता है। तो दूसरे के शासन व चोरों से जनता दुखी, सुभिक्ष, कल्याण, नीरोगता, दक्षिण में दुर्भिक्ष, राजाओं का नाश होता है।
पाँच शुक्रवार होने से अधिमास में गायन वादन नर्तन नये पलंग सोफा या कुर्सियों की खरीद तथा रेडियो टीवी टेप रिकार्डर आदि से सम्बन्धित कार्य, सफेद रंग के वस्त्राभूषणों तथा विचित्र वस्त्रों का क्रय विक्रय एवं धारण, ब्यूटी पार्लर खोलना या उसमें जाना श्रृंगार, सजावट टेन्ट हाउस का कार्य, जमीन प्लाट आदि की बुकिंग दुधारु पशुओं का क्रय विक्रय खेती बाग बगीचा, पेड़ पौधे लगाना, बैंकिंग आदि के कार्य शुभ होते हैं।
*धन और हर तरह का सुख देता है पुरुषोत्तम मास*
अधिक मास के दौरान नियम और संयम से रहना चाहिए। इस दौरान बुरे कामों से दूर रहकर भगवान के करीब आने का मौका मिलता है। इस पवित्र महीने में भगवान के प्रति समर्पित भावना से की गई भक्ति और त्याग से भगवान प्रसन्न होते हैं। इससे धन, पुत्र, समृद्धि और कई तरह के सुख का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में यदि मलमास भर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं तो अति कामुकता तथा मन की चञ्चलता समाप्त होती है। एड्स जैसे रोगों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
चन्द्र मुहूर्त के विचार से अधिक मास में खाद्य पदार्थों का मूल्य सामान्य रहेगा, सर्राफा बाजार में तेजी आयेगी, कन्या का बुध ऊनी व सूती वस्त्रों तथा कपास के भाव में तेजी लाने वाला है, गुड़ शक्कर कागज के समान आदि की मन्दी होगी, भारत का पड़ोसी राष्ट्रों से सम्पर्क अच्छा होगा, साग-तरकारी का मूल्य सामान्य बना रहेगा। पड़ोसी राष्ट्रों में राजनीतिक अस्थिरता बनी रहेगी खण्ड वृष्टि तथा तापमान में गर्मी रहेगी, कहीं कहीं वायुवेग के साथ समुद्री तूफान तथा भूकम्पादि से हानि सम्भव है |
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