आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा
नगर निगम के आवास को खरीददारों का टोटा
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहर में बनाए गए मकानों की बिक्री नगर निगम नहीं कर पा रहा है। इसके लिए पहले प्रयास भी किए गए थे लेकिन लॉकडाउन के समय से निगम की गतिविधियां भी रुकी हुई हैं। एएचपी घटक के ईडब्ल्यूएस मकानों को लेकर शुरू से ही नगर निगम का फोकस रहा है।
सरकार भी लगातार इन्हीं मकानों को लेकर समीक्षा करती रही है और दिशा निर्देश भी जारी किए जाते रहे हैं। वर्तमान में रीवा शहर में करीब डेढ़ हजार से अधिक की संख्या में मकान बनकर तैयार हैं, इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं आ रहा है। कुछ दिन पहले ही २९ लोगों को चाबियां रतहरा में सौंपी गई हैं, निगम का दावा है कि इन लोगों ने शासन के नियमों के अनुसार निर्धारित राशि जमा कर मकान लिए हैं।
शहर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2240 ईडब्ल्यूएस मकान बनाए जाने की स्वीकृति हुई है। इसके लिए शहर के अलग-अलग स्थानों पर निर्माण की प्रक्रिया शुरू की गई है। जिसमें 1705 मकान बनकर तैयार हो चुके हैं। इसमें 123 लोगों का गृह प्रवेश भी हो चुका है। अभी 1582 लोगों को मकानों की चाबी देना बाकी है। इसके लिए अब एक बार फिर से प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। हालांकि पहले की तरह हितग्राहियों का मकान खरीदनों को लेकर दिलचस्पी नहीं है। शहर में कई जगह इसके विज्ञापन के बोर्ड भी लगाए गए हैं।
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हितग्राही चयन में मनमानी से आवेदन घटे
नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारियों द्वारा पूर्व में हितग्राहियों के चयन में व्यापक रूप से विसंगतियां सामने आई थी। पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर आवेदन स्वीकार करने का दावा किया गया था लेकिन बाद में लगातार शिकायतें आने लगी कि अधिकारियों और सत्ता से जुड़े नेताओं के करीबियों को ही महत्व मिल रहा है। इस कारण जो वास्तविक रूप से इन मकानों के हितग्राही थे उन्होंने निगम की योजना से दूरी बनाना शुरू कर दिया है। यही वजह है कि अब आवेदन आना ही बंद हो गए हैं।
- कीमत पर भी कोई निर्णय नहीं हो सका
ईडब्ल्यूएस मकानों की कीमत को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसके लिए कई प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित हैं, जहां से कोई मार्गदर्शन नहीं आया है। निगम अधिकारियों की ओर से पहले ईडब्ल्यूएस की कीमत हितग्राही के लिए 2 लाख रुपए तय की गई थी। इसी के चलते 20 हजार रुपए लेकर पंजीयन भी कराया गया। बाद में सरकार बदलने के बाद यह बात सामने आई कि दो लाख रुपए केवल स्लम एरिया के हितग्राहियों के लिए है और नान स्लम एरिया के लोगों को 4.75 लाख रुपए जमा करना होगा। जिन लोगों ने पहले 20 हजार रुपए देकर पंजीयन करा लिया था, उनसे जब और राशि मांगी गई तो उन्होंने अपना आवेदन ही वापस लेना शुरू कर दिया। इस पर निगम के तत्कालीन आयुक्त ने महापौर से मार्गदर्शन मांगा तो महीनों फाइल पर कोई निर्णय नहीं लिया, बाद में आयुक्त के विवेक पर ही छोड़ दिया। फिर प्रशासक के बाद मामला पहुंचा तो उन्होंने शासन को भेज दिया, जहां से अब तक कोई निर्णय नहीं आया है
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अब एलआईजी मकानों पर जोर दे रहा निगम
लॉकडाउन की वजह से मकानों की बिक्री का क्रम रुक गया था। अब एक बार फिर से इसकी शुरुआत की गई है लोगों को मकान और दुकानें खरीदने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। इस बार एलआईजी मकानों को बेचने पर अधिक जोर है। शहर में इसके लिए 900 मकान बनाए जा रहे हैं। 170 को फाइनेंस कराने के लिए प्रक्रिया चल रही है। आवेदन लोगों के लिए गए हैं, दावा किया जा रहा है कि जल्द ही ये मकान आवंटित कर दिए जाएंगे।
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शहर में यहां बन रहे ईडब्ल्यूएस मकान
रतहरा- 238
ललपा- 140
सुंदरनगर-- 392
शिवनगर - 238
एसएएफ ग्राउंड-- 336
गोल क्वार्टर्स बिछिया- 588
कृष्णा नगर - 308
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आवास योजना के मकान जितने बन गए हैं, उनके आवंटन की प्रक्रिया चल रही है। स्लम और नान स्लम के लिए अलग कीमत है। लॉकडाउन की वजह से कई महीने तक फाइनेंस एवं अन्य कार्य बाधित रहे हैं। अब फिर से प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। उम्मीद है जल्द ही सभी मकान आवंटित हो जाएंगे।
एपी शुक्ला, उपायुक्त नगर निगम
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