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राजनीति के शब्दों का खेल राजनीति में 'आया राम गया राम' कहां से आया, जानिए भारतीय राजनीति का रोचक किस्सा

आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा


राजनीति में 'आया राम गया राम' कहां से आया, जानिए भारतीय राजनीति का रोचक किस्सा



भारतीय राजनीति में नेताओं का पार्टी बदलना बड़ा आम हो गया है। सालों तक किसी पार्टी से जुड़े रहने के बावजूद नेता मनमाफिक सम्मान नहीं मिलने पर पाला बदलते देखे गए हैं। नेताओं, विधायकों या सांसदों के लिए पहले भी यह कोई बड़ी बात नहीं थी और आज भी कुछ ऐसा ही है। इस तरह के नेताओं और विधायकों को दलबदलू कहा जाता है। भारत में पाला बदलने की इस प्रवृत्ति के लिए 'आया राम गया राम' वाक्य का भी इस्तेमाल होता है।


 


 


'आया राम गया राम' वाक्य को एक लोकप्रिय जुमला बन जाने की बड़ी दिलचस्प कहानी है। आया राम गया राम का किस्सा शुरू हुआ साल 1967 में। इस वाक्य को अमर कर देने वाले शख्स थे गया लाल। गया लाल हरियाणा के पलवल जिले के हसनपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। आइए आज आपको वह कहानी सुनाते हैं...


​एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली


गया लाल ने उन्होंने एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली। पहले तो उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन थाम लिया। फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए। करीब 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए। खैर गया लाल के हृदय परिवर्तन का सिलसिला जा रहा और वापस कांग्रेस में आ गए। कांग्रेस में वापस आने के बाद कांग्रेस के तत्कालीन नेता राव बीरेंद्र सिंह उनको लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां एक संवाददाता सम्मेलन किया। राव बीरेंद्र ने उस मौके पर कहा था, 'गया राम अब आया राम हैं।' इस घटना के बाद से भारतीय राजनीति में ही नहीं बल्कि आम जीवन में भी पाला बदलने वाले दलबदलुओं के लिए 'आया राम, गया राम' वाक्य का इस्तेमाल होने लगा।


​​आया राम गया राम' राजनीति का केंद्र रहा है हरियाणा


 


1980 में भजन लाल जनता पार्टी को छोड़कर 37 विधायकों के साथ कांग्रेस में शामिल हो गए थे और बाद में राज्य के मुख्यमंत्री बने।


1990 में उस समय भजन लाल की ही हरियाणा में सरकार थी। बीजेपी के के.एल.शर्मा कांग्रेस में शामिल हो गए थे। उसके बाद हरियाणा विकास पार्टी के चार विधायक धर्मपाल सांगवान, लेहरी सिंह, पीर चंद और अमर सिंह धानक भी कांग्रेस में शामिल हो गए।


1996 में हरियाणा विकास पार्टी और बीजेपी गठबंधन ने सरकार बनाई। बाद में हरियाणा विकास पार्टी के 22 विधायकों के पार्टी छोड़ने की वजह से बंसी लाल को इस्तीफा देना पड़ा। हरियाणा विकास पार्टी के 22 विधायक आईएनएलडी में शामिल हो गए थे। उसके बाद बीजेपी की मदद से ओम प्रकार चौटाला ने राज्य में सरकार बनाई थी।


2009 के चुनाव में किसी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस और इंडियन नैशनल लोक दल (आईएनएलडी) दोनों सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी। उस समय हरियाणा जनहित कांग्रेस के पांच विधायक सतपाल सांगवान, विनोद भयाना, राव नरेंद्र सिंह, जिले राम शर्मा और धर्म सिंह कांग्रेस में शामिल हो गए थे।


​​अब भी जारी है सिलसिला


 


साल 2016 में पीपुल्स पार्टी के 43 में से 33 विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। पहले कांग्रेस विधायक पीपुल्स पार्टी में चले गए थे और बाद में बीजेपी में चले गए थे।


साल 2018 में गोवा में कांग्रेस के दो विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे।


​ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 18 साल बाद बदली पार्टी



मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता और कांग्रेस से सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से अपना 18 साल पुराना नाता तोड़कर कुछ महीनों पहले बीजेपी का दामन थाम लिया। फिर बीच में ऐसी खबरें भी उड़ी थीं कि वह बीजेपी भी छोड़ सकते हैं।


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