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नाग पंचमी 2020 कब? जानिए इस दिन सांपों को दूध पिलाने के पीछे क्या है मान्यता

आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा


नाग पंचमी 2020 कब? जानिए इस दिन सांपों को दूध पिलाने के पीछे क्या है मान्यता



 ये त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। साल 2020 में नाग पंचमी 25 जुलाई को मनायी जाएगी


 


मान्यता है कि नाग पंचमी पर सांप की पूजा करने से शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


 सावन का महीना हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण व पावन माना गया है। इसके पीछे जो दो जरूरी कारण हैं वो ये कि एक तो ये भगवान शिव का पसंदीदा माह है और दूसरा कि इस महीने में कई त्योहार आते हैं। नाग पंचमी भी इसी महीने में मनाया जाता है। ये त्योहार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। नाग देवता की पूजा आज से नहीं बल्कि पौराणिक समय से चली आ रही है। साल 2020 में ये त्योहार इस माह की 25 तारीख को मनाया जाएगा। घर-परिवार पर नाग देवता की कृपा बनी रहे इसलिए कई लोग इस दिन घर के प्रवेश स्थान पर नाग का चित्र बनाते हैं तो कहीं-कहीं आज के दिन सांप को दूध पिलाने की भी मान्यता है। माना जाता है कि इस दिन सांपों की पूजा करने और उन्हें दूध पिलाने से कभी न नष्ट होने वाले पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं विस्तार से-


 


भविष्य पुराण में मिलता है उल्लेख: भविष्य पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस दिन नाग पूजा और नागों को दूध चढ़ाने से नाग देवता खुश हो जाते हैं और इससे सर्पदंश का खतरा भी कम होता है। माना जाता है कि महाराज जनमेजय ने एक बार नाग यज्ञ किया था जिसके कारण नागों का शरीर जल गया था तब आस्तिक मुनि ने उनके शरीर पर दूध डालकर उनकी रक्षा की थी।


 



क्यों मनाया जाता है नाग पंचमी का त्योहार, जानिए इससे जुड़ी कथा और पूजा विधि



नाग पंचमी की कथा में भी है जिक्र: किसी राज्य में एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते वक्त भूल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात को अंधेरे में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन सुबह किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।
ये कहता है ज्योतिष शास्त्र: 


दूध को चंद्रमा का प्रतीक माना गया है। इसके साथ ही भगवान शिव के मस्तक पर भी चंद्रमा विराजमान है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक ग्रह बताया गया है। मन को शिव के प्रति समर्पण के उद्देश्य से भी नाग पंचमी पर सांप को दूध पिलाया जाता है। नाग(सांप) को शिव का सेवक भी कहा जाता है। सांप शिव जी के गले में विराजमान है। ऐसा माना जाता है कि नाग(सांप) पृथ्वी को संतुलित करते हैं। ऐसे में उनकी उपासना का महत्व और भी बढ़ जाता है।


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