आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा
सावन का दूसरा शनिवार है खास
सावन का महीना यूं भी शिवभक्तों के लिए महत्वपूर्ण और श्रद्धा से जुड़ा हुआ है। लेकिन इस पर भी कुछ ऐसे संयोग बन जाते हैं जो सावन के कुछ खास दिनों को और भी खास बना देते हैं। ऐसा ही खास दिन बन गया है सावन का दूसरा शनिवार जो 18 जुलाई को है।
इस बार 18 जुलाई दिन शनिवार को कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि है। कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के बारे में कहा जाता है कि इस दिन शिवजी की पूजा भक्ति करने वाले की मुराद शिवजी बहुत ही जल्दी पूरी करते हैं। लेकिन सोने पर सुहागा तो तब हो जाता है जब यह त्रयोदशी तिथि शनिवार को लग जाए। शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि लग जाने पर यह शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि प्रदोष व्रत का धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्व है।
शनि प्रदोष व्रत की मान्यता
ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से शनि सहित दूसरे अशुभ ग्रहों के प्रभाव से जीवन में चल रही परेशानी दूर हो जाती है। इस संदर्भ में एक कथा है कि एक राजा का पुत्र बचपन में ही परिवार से अलग हो गया था। उसका राजपाट सब छिन गया था। गरीबी में पलकर बड़ा हुआ और एक दिन इस व्रत के प्रभाव से उसे गंधर्वों का साथ मिला और वह अपना खोया राजपाट पाने में सफल हुआ।
शनि प्रदोष व्रत साल में कभी भी आए तो इसका फल अन्य प्रदोष व्रत से अधिक होता है लेकिन सावन में अगर प्रदोष व्रत शनिवार को मिल जाए तो इसे छोड़ना नहीं चाहिए। इस दुर्लभ संयोग का लाभ उठाकर व्रत करना चाहिए, अगर व्रत करना संभव ना हो तब इस दिन पीपल को जल जरूर देना चाहिए और भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
शनि प्रदोष व्रत का लाभ
शनि प्रदोष के दिन भगवान शिव और पीलल को जल देने का फल अपार बताया गया है। ब्रह्मपुराण के खंड 7 में कहा गया है कि शनिवार के दिन पीपल का के वृक्ष का स्पर्श करके जो व्यक्ति 108 बार ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं। शनि दोष की पीड़ा और जीवन में चल रही कठिनाइयों से भी व्यक्ति पार पा सकता है
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें