आज है सावन सोमवार के साथ सोमवती अमावस्या जाने क्या है इसका महत्व क्यों लगाते हैं फेरी पीपल के पेड़ की
आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा
आज है सावन सोमवार के साथ सोमवती अमावस्या जाने क्या है इसका महत्व क्यों लगाते हैं फेरी पीपल के पेड़ की
भगवान शिव की अराधना को समर्पित सावन के पवित्र माह में सावन सोमवार व अमावस्या के जलाभिषेक का विषेश महत्व है। लेकिन अमावस्या यदि सोमवार को हो यानी सोमवती अमावस्या हो तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस बार दशकों बाद सावन के तीसरे सोमवार को विशेष मुहूर्त में 20 जुलाई को सोमवती अमावस्या पड़ रही है। इस अमावस्या को हरियाली अमावस्या भी कहते है। कहा जाता है कि 20 साल पहले ऐसा शुभ संयोग बना था।
सोवमती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। सावन सोमवार और सावन की सोमवती अमावस्या को पूजा-पाठ करने और जलाभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है। बहुत से भक्त भगवान शिव की असीम कृपा पाने के लिए सोमवती अमावस्या को व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी/पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई इलाकों पर अमावस्या के दिन पितर देवताओं की पूजा करने और श्राद्ध करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे अज्ञात तिथि पर स्वर्गलोकवासी हुए पूर्वजों को मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या तिथि मुहूर्त-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 20 जुलाई 2020 को 12:10AM से
अमावस्या तिथि समाप्त - 20 जुलाई 2020 को 11:02PM तक
कोरोना संकट को ध्यान रखें पालन करें सामाजिक दूरी-
कोरोना संकट देखते हुए आस्था की शक्ति के पाठकों को सलाह है कि आपके इलाके में मंदिर खुले हों तो वहां फेसमास्क लगाकर जाएं और सामाजिक दूरी का पालन पालन करें। अपने पास हैंड सैनिटाइजर रखें और किसी भी सतह को छूने से परहेज करें। मंदिर में भीड़भाड़ का माहौल हो तो घर में पूजा करें। या चाहें तो दिन के अलग समय जल्दी सुबह या दोपहर बाद मंदिर जाएं जिस वक्त भीड़ न हो। साथ ही जिन इलाकों में कंटेनमेंट जोन है या मंदिरों को बंद रखा गया है वहां बाहर निकलन से बचें।
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