शनि प्रदोष व्रत : 7 वर्ष बाद ही अब ऐसा संयोग, जैसा अबकी है 1 को, प्रदोष व्रत किसी भी दिन पड़े यह महत्वपूर्ण होता है
मनीष गौतम रीवा शनि प्रदोष व्रत : 7 वर्ष बाद ही अब ऐसा संयोग, जैसा अबकी है 1 को, प्रदोष व्रत किसी भी दिन पड़े यह महत्वपूर्ण होता है। लेकिन शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष यानी कि शनि प्रदोष अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। वहीं सावन महीने में पड़ने वाले शनि प्रदोष का मान और भी बढ़ जाता है। इस बार सावन में दो शनि प्रदोष व्रत का संयोग बना। पहला 18 जुलाई को था और अब दूसरा और सावन माह का अंतिम शनि प्रदोष व्रत 1 अगस्त को है। सावन माह में शनि प्रदोष व्रत का यह अद्भुत संयोग अब 7 वर्ष बाद यानी कि वर्ष 2027 में बनेगा। शनि के आराध्य हैं भोलेनाथ शास्त्रों में भगवान शिव को शनिदेव का गुरु और आराध्य बताया गया है। इसलिए सावन के महीने में शनिदेव और भगवान शिव की पूजा से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि शनि प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को साढ़ेसाती और ढैय्या से छुटकारा मिलता है। इसके साथ ही उनके जीवन में आने वाली अन्य समस्याएं भी दूर होती हैं। कार्यक्षेत्र में लाभ के साथ, दीर्घायु और पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। शनि प्रदोष की ऐसे करें पूजा शनि प्...