आस्था की शक्ति मनीष गौतम रीवा
*लॉक डाउन का असर: कोरोना काल में प्रकृति के साथ मोक्षदायिनी गंगा और यमुना नदियां हो रहीं निर्मल*
प्रयागराज में गंगाजल की शुद्धता पहले के मुकाबले बढ़ गई है. गंगाजल अब हल्का दूधिया सा नजर आ रहा है. साधु संत और वैज्ञानिक भी गंगा की निर्मलता और अविरलता को देखकर खासे उत्साहित और खुश नजर आ रहे हैं.
पूरी दुनिया में डर और दहशत का दूसरा नाम बन चुके कोरोना वायरस (COVID-19) से लड़ रहे देश में लॉक डाउन (Lockdown) है. ये लॉक डाउन लोगों, सरकारों के लिए तमाम चुनौतियां खड़ी कर रहा है लेकिन दूसरी तरफ मोक्षदायिनी गंगा नदी के लिए ये दौर वरदान साबित होता रहा है. लॉक डाउन की वजह से इन दिनों कल कारखाने बंद हैं. गंगा के घाटों पर श्रद्धालुओं की आवाजाही भी ठप हो गई है. घाटों पर न गंदगी फैल रही है और न ही गंगा में टेनरियों का गंदा पानी गिर रहा है. इससे गंगाजल की शुद्धता पहले के मुकाबले बढ़ गई है. गंगाजल अब हल्का दूधिया सा नजर आ रहा है. प्रयागराज के संगम तट पर वैसे तो इन दिनों सन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन साधु संत और वैज्ञानिक भी गंगा की निर्मलता और अविरलता को देखकर खासे उत्साहित और खुश नजर आ रहे हैं.
*पहले से ज्यादा स्वच्छ हुआ गंगा और यमुना का जल*
कोरोना की महामारी को लेकर किए गए लॉक डाउन की वजह से गंगा समेत देश की दूसरी नदियों का जल पहले से काफी स्वच्छ और अविरल हो गया है. इसकी वास्तविक वजह है कि कल कारखानों के बंद हो जाने से इन दिनों गंगा नदी में गंदा पानी नहीं प्रवाहित हो रहा है. खास तौर पर गंगोत्री से निकलने वाली गंगा नदी कानपुर की टेनरियों की वजह से सबसे ज्यादा दूषित होती थी. लेकिन लॉक डाउन में कानपुर में भी उद्योगों के ठप हो जाने से गंगा का पानी पहले से कई गुना साफ नजर आने लगा है. कई पर्यावरण विदों का मानना है कि
उनके मुताबिक प्रकृति अपना बैलेंस खुद करती है. इसलिए जहां नमामि गंगे जैसे योजनायें करोड़ों रुपये खर्च करके जो काम अब तक नहीं कर सकीं, वो काम कोरोना महामारी के दौरान इस लॉक डाउन ने पूरा कर दिया है. उनके मुताबिक गंगा और यमुना पवित्र नदियों में जल की स्वच्छता से लोगों के बीच भी अच्छा संदेश जाएगा.
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