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विधायक के इशारे पर बस्ती खाली करने के लिए बांटे थे 2-2 हज़ार रुपये,

आरटीआई में बताया 61 लेकिन हकीकत में विस्थापित किये 150 से अधिक परिवार (रीवा में रतहरा तालाब बस्ती विस्थापन मामले में सच्चाई तब सामने आई जब एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी ने 26 मई को दोपहर पार्किंग का किया दौरा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के पीए राजेश पण्डेय ने 70 बंसल परिवारों और शेष साकेत परिवारों ने रोया विस्थापन का दर्द, कहा अब और बर्दास्त नहीं* -------------------- _*मप्र के रीवा शहर के रतहरा तालाब से बुलडोजर चला कर विस्थापित किए गए बस्ती निवासियों का मामला रीवा जिले के पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल एवं नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुवे का नाम सामने आने से काफ़ी सुर्खियां बटोरता नजर आ रहा है।*_ 48 घंटे की RTI का ज़बाब राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह की सख्ती के बाद 240 घंटे नगर निगम रीवा ने हलफनामा के साथ देते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया ज़बाब से असंतुष्ट एवं गुमराह युक्त होने के कारण सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने विस्थापित रहवासियों का हाल जानने रतहरा पहुंच गए। *दावे अनगिनत, हकीकत कुछ और है* हाल ही में 17 परिवारों को घर एवं अन्य को मल्टी के नीचे सुदृढ़ व्यवस्था के साथ हरसम्भव मदद किये जाने का दावा स्थानीय विधायक, नगर निगम रीवा, के साथ RTI में मांगी गई जानकारी में भी किया गया लेकिन जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी सहित पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर के छात्र स्वतंत्र शुक्ला स्थिति का जायज़ा लेकर रहवासियों के समक्ष पहुंचे तो किये गए वादों का पर्दा फास हो गया एवं स्थितियां काफ़ी हृदय विदारक नजर आई। *रहने के लिए कोई व्यवस्था नहीं, ऊपर से कोरोना का डर* मल्टी के नीचे पार्किंग में निवास कर रहे विस्थापित रहवासियों का कहना है कि हमें बिना किसी सूचना दिए पुलिस फोर्स के माध्यम से डरा धमकाकर हटा दिया गया हमारे आशियानें में जबर्दस्ती बुलडोजर चला दिया गया खाने की सामग्री कुछ लोग उठा पाए एवं कुछ लोग नहीं वर्तन तक वहीं बर्बाद हो गए। और अब फार्म भर कर 20 हजार रुपये मांगे जा रहे हैं कोरोना के काल मे जब सब कुछ बंद पड़ा है न कहीं मजदूरी नहीं है हम गरीब लोग कैसे देंगें पैसे कैसे भरेंगे किस्त..? खुद राजेंद्र शुक्ल बताए हमें बिना किसी नोटिस, अनाउंसमेंट एवं आवास देने की सुविधा नही थी तो क्यों हमारे घरों को उजाड़ दिए, हम इस कोरोना में छोटे छोटे बच्चों को लेकर कहाँ जाए क्या करें...? *भोजन,पानी,पैसे नही, आग में झुलस गया बच्चा* सामाजिक कार्यकर्ता के बीच अपने दर्द से अवगत कराते हुए भोजन पानी की सुविधा उपलब्ध न होने की जानकारी देते हुए लोगों ने बताया कि दिन में सिर्फ एक बार पानी आता है सुरुआत में 5 किलोग्राम राशन मिला था दुबारा कुछ नहीं। मीडिया के लोग चारों तरफ की बेमतलब की खबर दिखाते हैं लेकिन हम गरीबो के पास अभी तक कोई हाल जानने नहीं आया कि हम किस हाल में हैं। कहते हैं कोरोना वायरस है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करो दूर दूर रहो लेकिन इतने जगह में हम लोग कैसे रह सकते हैं दूर दूर, खाना बनाते वक़्त बच्चा आग में झुलस गया दवा कराने के लिए पैसे नहीं है कैसे हम लोग के साथ शासन प्रशासन अन्याय कर रहा है। *कई जगह से हटाया अब हम कहाँ जाए ..?* रतहरा तालाब से हटाए गए लोगो की कहानी आज से ही नहीं करीब 2001 से विवादास्पद होने के साथ चिंता जनक थी रानी तालाब से हटाकर...... रतहरा तालाब में भेजा गया अब रतहरा तलाव से भी घर में बुलडोजर चला कर हटा दिया गया औऱ दो से तीन हप्ते होने के बाद भी रहने के लिए व्यवस्था नहीं कि गई। *सुर्खियों में सामाजिक कार्यकर्ता का हृदयविदारक वीडयो* दावे के मुताबिक हकीकत जानने अपनी टीम के साथ रतहरा पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ता का एक वीडियो सोशल मीडिया में काफ़ी ट्रेंडिंग में सुर्खियां बटोर रहा है वीडियो देखने वालों को लग है की आज भी है जो गरीबों के लिए असमय काल मे कोरोना योद्धा बन कर तपती गर्मी में मानवाधिकार के लिए लड़ रहा है। बता दें कि वीडियो में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने ट्विटर और यूट्यूब में कई वीडियो शेयर किए जिसमे प्रशासन द्वारा लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने की बात सामने आई है साथ ही गरीबों के ऊपर किए गए अमानवीय कृत्य की निंदा करते हुए विस्थापित लोगो के अधिकार एवं रहने खाने की उचित व्यवस्था व लॉक डाउन होने के साथ मा. हाई कोर्ट के आदेशों के बाद भी गरीबों की बस्तियों को उजाड़ने वालों को चिन्हित कर जल्द ही दंडात्मक कार्यवाही किए जाने की मांग प्रदेश के मुख्यमंत्री से की जा रही है। *ट्विटर पर क्या कहा सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने* इस बीच ट्विटर पर रतहरा बस्ती विस्थापन मामले से जुड़े 26 मई की विस्थापितों की हकीकत बताने वाले एक्टिविस्ट के वीडियो को देखकर अपने ट्विटर एकाउंट में सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कमेंट किया कि यह बेहद दर्दकारक है। आरटीआई में कुछ और जानकारी दी गयी है जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। इस पर कार्यवाही हो और दोषियों को दंडित किया जाय।


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