सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने आदेशित किया आयुक्त नगर निगम रीवा अर्पित वर्मा और नगरीय प्रशासन आयुक्त पी नरहरि को
*(Rewa, MP) 48 घण्टे में आरटीआई का जबाब दें और ऑनलाइन फीस पेमेंट सुविधा सुनिश्चित करें - सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने आदेशित किया आयुक्त नगर निगम रीवा अर्पित वर्मा और नगरीय प्रशासन आयुक्त पी नरहरि को(मप्र राज्य सूचना आयुक्त का रतहरा तालाब बस्ती विस्थापन पर आया ऐतिहासिक निर्णय)*
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दिनांक 12 मई 2020, स्थान - रीवा/भोपाल मप्र
लॉकडाउन के समय अतिक्रमण हटाओ मुहिम चला कर ग़रीबो को बेघर करने के मामले में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने रीवा नगर निगम आयुक्त अर्पित वर्मा को आरटीआई आवेदन पर 48 घंटे में कार्रवाई के निर्देश दिए है। जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े 48 घंटे में जानकारी देने वाले आरटीआई प्रकरणों के लिए राज्य सूचना आयोग ने आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास पी नरहरि को लॉकडाउन के समय रीवा डिवीज़न के सभी नगरीय निकाय में आरटीआई अपील और फ़ीस की ऑनलाइन व्यवस्था के लिए अनुशंसा भी की है।
लॉकडाउन के दौर में ये पहला मौका है जब राज्य सूचना आयोग ने आरटीआई प्रकरण पर मध्यप्रदेश में कार्रवाई की है। रीवा निवासी एक्टिविस्ट शिवानंद द्वेवेदी के आरटीआई आवेदन पर ये कार्रवाई की गई है। इस आदेश में राज्य सूचना आयोग ने माना कि अतिक्रमण हटाने की मुहिम के चलते ग़रीबो के सामने जीवन का संकट खड़ा हो गया है। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में कहा कि "ये प्रकरण भोजन का अधिकार - मौलिक अधिकार, जीवन का अधिकार धारा 21 से जुड़ा हुआ है। अनुच्छेद 39 ए और अनुच्छेद 47 में नागरिकों के पोषाहार तथा जीवन का स्तर उठाने को राज्य का प्राथमिक दायित्व बताया गया है। वही सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार किया है कि प्रत्यक व्यक्ति जो बेघर है उन्हें आश्रय की व्यवस्था संवैधानिक अंतर्निहित है इसलिए इस प्रकरण में 48 घंटे में जानकारी देने का प्रावधान लागू होगा।"
आयोग ने सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए नोटिस ईमेल और व्हाटसअप के जरिये भेजने के कार्रवाई की है
इस प्रकरण में रीवा के रतहरा तालाब के पास विस्थापित श्रमिको की बस्ती को प्रशासन ने बुलडोजर चला कर 9 मई को तोड़ दिया था। तब से वे खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे सोने को मजबूर है।
लॉकडाउन के समय सारी व्यवस्था टप्प होने से राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इस प्रकरण को विशेष मानते हुए सुनवाई की। सिंह ने अपने आदेश में आयुक्त नगर निगम को फीस लेने की ऑनलाइन व्यवस्था के अलावा सोशल डिस्टेनसिंग का पालन करते हुए जानकारी भी ईमेल या व्हॉट्सएप के माध्यम से भेजने को कहा है। आयुक्त सिंह का मानना है कि प्रशासन के पास यदि इतने संसाधन है कि वे लॉकडाउन के समय अतिआवश्यक सेवाओं को छोड़ अतिक्रमण हटाओ मुहिम चला सकते है तो आरटीआई कानून के तहत इस कार्रवाई से जुड़े दस्तावेज़ भी दे सकते है। इन दस्तावेजों को लेकर आवेदक शिवानंद द्वेवेदी हाईकोर्ट में ग़रीबो के साथ हुई इस अमानवीय कार्रवाई के ख़िलाफ़ जनहित याचिका दायर करना चाहते है। आवेदक शिवानंद द्वेवेदी ने धारा 25 (5) के तहत सूचना आयुक्त राहुल सिंह से कोरोना काल के समय महत्वपूर्ण आरटीआई मामले में जानकारी देने के लिए अलग से व्यवस्था बनाएं जाने की मांग की थी। राहुल सिंह ने इस मामले में आयुक्त नगरीय प्रशासन पी नरहरि से अनुशंसा की है वे महत्वपूर्ण मामले में आरटीआई दायर करने के लिए ऑनलाइन फीस और ईमेल की व्यवस्था सुनिश्चित करे ताकि जीवन या स्वतंत्रता के संबंध में दायर आरटीआई में जानकारी 48 घंटे में दी जा सके।
ये पूरा प्रकरण लॉकडाउन के समय राज्य सूचना आयुक्त के संज्ञान में आया। इसके बाद इस मामले में जानकारी देने की व्यवस्था के तत्काल आदेश किये गए।
ग़ौरतलब है कि लॉकडाउन के समय रीवा में ग़रीबो की बस्ती पर बुलडोजर चला कर उनके घरों को मिट्टी में मिलाने के बाद अफ़सरो ने दावे किए थे कि उनको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिए गए है। जबकि हकीकत में वे खुले आसमान के नीचे भूखे प्यासे मरने को मजबूर है।
*48 घण्टे में आरटीआई का जबाब दें और ऑनलाइन फीस पेमेंट सुविधा सुनिश्चित करें - आयुक्त श्री राहुल सिंह*
अपने दिनांक 12 मई के ऐतिहासिक आदेश में मप्र राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने कुल 13 पन्नों के आदेश में बड़ा की अभूतपूर्व निर्णय दिया है जिससे न केवल मप्र सूचना आयोग में क्रांति आ जाएगी बल्कि पूरे देश में सूचना आयोगों में इन निर्णयों को बेंचमार्क की तरह लिया जाएगा. सिविल प्रक्रिया संहिता की सिविल जज की शक्तियों एवं आरटीआई की धारा 18 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने निर्णय में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 25(5) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए आयुक्त राहुल सिंह ने नगरीय प्रशासन विभाग के आयुक्त पी नरहरि एवं डीम्ड पिआईओ नगर निगम रीवा प्रभारी कमिश्नर अर्पित वर्मा को निर्देशित किया की वह 48 घण्टे के भीतर चाही गई जानकारी ईमेल, फ़ोन, एवं व्हाट्सएप के माध्यम से आवेदक को देना सुनिश्चित करें और चूंकि नेशनल लॉकडाउन और सोशल डिस्टनसिंग के दौर में आवेदक घर से बाहर नही जाना चाहता अतः आरटीआई आवेदन की रुपये 10 की फीस के साथ अन्य कागजातों के लिए फीस पे करने की ऑनलाइन विधि और प्रक्रिया सुनिश्चित करें जिससे लॉकडाउन जैसी स्थिति मे विशेषकर जीवन जीने के अधिकार, भोजन, सुरक्षा, आवास एवं स्वतंत्रता के अधिकार मामलों पर 48 घण्टे के भीतर आरटीआई स्वीकार की जाकर उसका जबाब एवं फीस पेमेंट सम्बन्धी समस्त तकनीकी समस्याओं का समाधान किया जा सके. इसके लिए मप्र नगरीय प्रशासन के आयुक्त पी नरहरि एवं रीवा जिले में विशेष तौर पर नगर निगम आयुक्त एवं डीम्ड पीआईओ अर्पित वर्मा इस पर तत्काल कार्यवाही कर पालन प्रतिवेदन आदेश के 48 घण्टे के भीतर प्रस्तुत करें.
*कहाँ से हुई समस्या, लॉकडाउन में भी आयोग का क्यों आया इतना कड़ा आदे?*
अब अवाल उठने स्वाभाविक हैं की आखिर वह क्या वजह थी जिसके कारण मप्र राज्य सूचना आयोग को एक बार फिर इतना कड़ा रुख अपनाना पड़ा? वैसे यह बात अब जाहिर है की जब से मप्र राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने सूचना आयोग में आयुक्त का पदभार संभाला है सूचना के अधिकार के क्षेत्र में व्यापक क्रांति आ चुकी है. आये दिन ऐसे निर्णय दिए जा रहे हैं जो न केवल मप्र के सूचना आयोग के इतिहास में बेंचमार्क हैं बल्कि सम्पूर्ण भारत के सूचना आयोग के इतिहास में अद्वितीय हैं.
समस्या वास्तव में तब हुई जब नेशनल इमरजेंसी टाइप पीरियड यानी नेशनल लॉकडाउन में रीवा नगर निगम प्रशासन और रीवा प्रशासन रतहरा तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर वहां अरसे से बसी हुई गरीबों की बस्तियों को बुलडोजर चलाकर नेस्तनाबूद करने लगा और बात मीडिया में छा गई. विभिन प्रकार से घटना का विश्लेषण हुआ. कइयों ने कार्यवाही को सही ठहराया तो कइयों ने अनुचित कहा. समस्या तब और भी व्यापक जब पीड़ित लगभग 70 परिवारों से मीडिया वाले रूबरू हुए तो उन्होंने अपनी समस्या बताई और कहा की उनको 09 मई की रात से लेकर आगे भी असुरक्षित तरीके से बिना भोजन और बिना आवास के रखा गया और उन्हें पहले से कोई आवास व्यवस्थापन नही हुआ. यहां तक की पीड़ितों का यह भी कहना था की उन्हें शासन प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाये जाने की कोई सूचना नही दी गई थी.
जाहिर है ऐसे सूचना आयोग भी एक्शन पर आ गया और जहां नेशनल लॉकडाउन की स्थिति में आयोग ने स्वयं भी सभी आदेश एवं कार्यवाही स्थगित कर दी थी तो एकबार फिर आयोग को भी सोचने पर मजबूर होना पड़ा की आखिर जब सरकार एवं कोर्ट स्वयं ही लॉकडाउन का पालन करने में सख्ती बरत रही है ऐसे में यह नगरीय प्रशासन एवं रीवा नगर निगम कोर्ट के आदेशों की अवमानना करते हुए तालाब सौंदर्यीकरण करने के नाम पर ऐसे तानाशाही निर्णय किस आधार पर ले सकता है. ऐसे में बस एक आरटीआई आवेदन फ़ाइल करने की आवश्यकता थी जिसे सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी ने पूरा किया और आयोग का जबरदस्त ऐतिहासिक निर्णय आ गया जिसने पूरे भारत के सूचना आयोगों के इतिहास में नया आयाम ला दिया है. अब भविष्य में सभी सूचना आयोग श्री राहुल सिंह के इन्ही ऐतिहासिक निर्णयों का हवाला देकर आदेश पारित करेंगे.
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