✍दीपक गुप्ता क्राइम रिपोर्टर...✍
गंगा के नाम मात्र से ही हो जाता है पापों का अंत
✍मनगवां से मनीष गौतम की रिपोर्ट...✍
सनातन धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है। यह पर्व ज्येष्ठ शुक्ल की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 1 जून को पड़ रही है। स्कन्दपुराण में इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगा नाम के स्मरण मात्र से ही सभी पापों का अंत हो जाता है। आइए जानते हैं क्या है गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त और महत्व? *गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि* गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 37 मिनट तक है। इस दौरान आप स्नान-ध्यान और दान कर सकते हैं। इस दिन गंगा नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार श्रद्धालु गंगा स्नान नहीं कर सकेंगे। ऐसे में गंगा दशहरा के दिन नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दें। फिर ‘ऊं श्री गंगे नमः’ का उच्चारण करते हुए मां गंगे का स्मरण करके अर्घ्य दें। इसके बाद गंगा मैया की पूजा-आराधना करें। इस दिन निराश्रितों एवं ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें। यह अत्यंत शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से गंगा मैया की कृपा से श्रद्धालु के जीवन में कभी किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आती। *गंगा दशहरा का ऐसा है महत्व* कथा मिलती है कि जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई उस दिन एक बहुत ही अनूठा और भाग्यशाली मुहूर्त था। आध्यात्मिक सलाहकार मनीष गौतम ने बताया कि उस दिन ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथी और वार बुधवार था, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात योग, गर योग, आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ में सूर्य। इस प्रकार उस दिन दस शुभ योग बन रहे थे। माना जाता है कि इन सभी दस शुभ योगों के प्रभाव से गंगा दशहरा के पर्व में जो भी व्यक्ति गंगा में स्नान करता है उसके ये दस प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं। *इन पापों का होता है नष्ट* मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान करने से दस तरह के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसमें पराई स्त्री के साथ समागम, बिना आज्ञा या जबरन किसी की वस्तु लेना, कटुवचन का प्रयोग, हिंसा, किसी की शिकायत करना, असत्य वचन बोलना, असंबद्ध प्रलाप, दूसरे की संपत्ति हड़पना या हड़पने की इच्छा, दूसरें को हानि पहुंचाना या ऐसी इच्छा रखना और बेवजह की बातों पर परिचर्चा शामिल है। इसलिए धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अगर अपनी गलतियों का अहसास और प्रभु से माफी मांगनी हो तो गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान कर दान-पुण्य करें। वर्तमान में कोरोना वायरस के चलते गंगा स्नान संभव नहीं है तो घर में स्नान के जल में गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इससे भी गंगा में डुबकी लगाने जैसा ही फल मिलेगा।
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