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मन चंगा, तो कठौती में गंगा’ और मन चंगा तब रहता है, जब

 मनीष गौतम रीवा  


लॉक डाउन के डरावने एवं विपरीत माहौल में अपने तन मन को कैसे तंदुरुस्त रखें 


मन चंगा, तो कठौती में गंगा’ और मन चंगा तब रहता है, जबतन भी चंगा हो। आज के दौर में तन और मन को साधन का योग से बेहेतर विकल्प नहीं हो सकता।लगभग पूरी दुनिया इस समय कोविड 19महामारी का सामना कर रही है, लेकिन हमें यह भी याद रखना चाहिए कि परेशानी के दौर में भी जो लोग सकारात्मक सोच का दामन नहीं छोड़ते, वे ही आगे चलकर मुश्किलों पर काबू पाते हैं और सफल होते हैं। महामारी का यह दौर ही तो हमारे लिए इम्तिहान की असली घड़ी है। इसी माहौल में हमें पूरी तरह सतर्क रहना है- धैर्यवान रहना है,सकारात्मक दृष्टिकोण रखना है और हर स्थिति के लिए अपने आप को तैयार रखना है। हमें यह याद रखना होगा कि नकारात्मक विचार हमें अंधियारे की ओर ले जाते हैं, जबकि सकारात्मक सोच सफलता के उजाले की ओर ले जाती है। यहां कुछ ऐसे उपाय दिए जा रहे हैं, जो हमें लॉकडाउन की वर्तमान स्थिति के दौरान सकारात्मक बने रहने में 
मदद करेंगे। स्व विकास का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा स्वीकार्यता है। अपने आप को 
उसी रूप में स्वीकार करें, जैसे आप 
हैं, दूसरों को भी उसे भी उसी रूप में अंगीकार करें, जैसे वे हैं और अभी जो माहौल है, उसे भी इसी नजरिए से देखें।


आभार जताने और श्रद्धा व्यक्त
करने से आपको अपने दिमाग में चल रहे अवांछित नकारात्मक विचारों को त्यागने और अधिक उत्पादक और 
स्वस्थ विचारों के लिए जगह बनाने में मदद मिलेगी।एक बार जब हम स्वीकार्यता और कृतज्ञता के भाव को ग्रहण करने लगेंगे, तो हमें महसूस होगा कि जीवन में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके बारे में हमें शिकायत करना पड़े।


हर दिन की शुरुआत नए सिरे से 
करें, मन में यह भावना और विश्वास हो कि चाहे कुछ भी हो, आज का दिन मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन साबित होने जा रहा है।किसी एक विचार पर 5 मिनट से अधिक का समय खर्च करने से बचें और अधिक उत्पादक और रचनात्मक विचारों के प्रति अपनी ऊर्जा का संरक्षण करें।


जब मन मजबूत और विचलन से 
मुक्त होता है, तो जीवन में महत्वपूर्ण
निर्णय करना और फिर उन पर अमल करना आसान हो जाता है। इस तरह 
हमें आत्मनिर्भर और स्वतंत्र बनने में 
मदद मिलती है, हम दूसरों के साथ साथ अपने स्वयं के प्रति भी अधिक 
जिम्मेदार होते हैं।इस समय इतनी नकारात्मकता से भरी दुनिया में, दया की ओर एक छोटा कदम, करुणा के महासागर से निकली एक बूंद और एक दूसरे के प्रति सहानुभूति की भावना निश्चित रूप से हमारी मनःस्थिति को बदल सकती है और हमारे लिए घोर अंधेरे के बीच रोशनी की किरण ला सकती है। हंसना और मुस्कुराना आपके जीवन पर एक समग्र सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है और यह तनाव के स्तर को 
काफी कम कर सकता है। अपनी दबी और अवरुद्ध भावनाओं को मुक्त करने का एक बहुत प्रभावी तरीका है मुक्तभाव से खुलकर हंसना।
हमें परिस्थितियों और घटनाओं के 
प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखकर 
चलना होगा। सुखी रहने के लिए हर 
परिस्थिति में खुश रहना सीखना होगा। सकारात्मक सोच के लिए अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना आपके लिए नितांत आवश्यक है।
हमेशा सुनते आए हैं कि खाली दिमाग यानी शैतान का घर। तो यथासंभव अपने आप को व्यस्त रखें। कुछ रचनात्मक कार्यों को पूरा करें और अपनी ऊर्जा को ऐसे कार्यों में खर्च करें, जो आपकी रचनात्मकता को बढ़ाते हुए उत्पादकता में सुधार करें।


स्वस्थ, संतुलित और पोषणयुक्त
भोजन न केवल हमारे शरीर को, बल्कि हमारे मस्तिष्क को भी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। पोषणयुक्त भोजन से हमारी सोच संतुलित और विशुद्ध रहती है और मन भी स्वस्थ और उत्पादक बना रहता है।


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