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काली खोह  के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष गौतम के अनुसार दर्शन करने मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर में ही देवी

इस बार नाव पर  आ रही है मां दुर्गा 


दुर्गा पूजा 25 से / कोरोनावायरस की वजह से चैत्र नवरात्रि में मंदिर नहीं जा सकते तो घर में ही करें शुभ काम और देवी पूजा



नहाते समय स्नान मंत्र बोलने से घर में तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है, देवी दुर्गा की पूजा में करें दुर्गा सप्तशती का पाठ



बुधवार, 25 मार्च से हिन्दू नव संवत 2077 शुरू हो रहा है। इसी के साथ चैत्र मास की नवरात्रि भी शुरू होगी। गुरुवार, 2 अप्रैल को राम नवमी तक नवरात्रि रहेगी। इन दिनों में देवी दुर्गा की पूजा करने की और देवी मंदिरों में दर्शन करने की परंपरा है, लेकिन इस बार कोरोनावायरस की वजह से घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए। जानिए  काली खोह  के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष गौतम के अनुसार दर्शन करने मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर में ही देव पूजा कर सकते हैं। यहां जानिए चैत्र नवरात्रि में घर में रहकर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
चैत्र नवरात्रि से जुड़ी मान्यता
पं.मनीष गौतम के अनुसार मान्यता है चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा पर देवी दुर्गा प्रकट हुई थीं। इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की थी। प्रतिपदा पर ही गुड़ी पड़वा भी मनाया जाता है।
सुबह उठते ही सबसे पहले करें अपने हाथों के दर्शन
रोज सुबह उठते ही सबसे पहले हाथों के दर्शन करना चाहिए। इसे करदर्शन कहते हैं। इस दौरान ये मंत्र बोलें- कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥ इस मंत्र से दिन की शुरुआत शुभ होती है।
स्नान के समय बोलें स्नान मंत्र
नहाते समय स्नान मंत्र का जाप करना चाहिए। ये मंत्र है गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।। इस मंत्र के जाप से घर पर तीर्थ स्नान का पुण्य मिल सकता है।
सूर्य को जल चढ़ाएं
स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं और ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। सूर्य को जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए।
घर के मंदिर में करें पूजा
चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा से पहले गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। गणेशजी प्रथम पूज्य देव हैं, इसीलिए हर शुभ काम की शुरुआत इनकी पूजा से ही करनी चाहिए।
देवी दुर्गा के सामने जलाएं दीपक
देवी दुर्गा की प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराएं। इसके बाद वस्त्र अर्पित करें। फूल चढ़ाएं। अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। माता को लाल चुनरी चढ़ाएं। नारियल अर्पित करें। घर में बने हलवे का भोग लगाएं। माता के सामने धूप-दीप जलाएं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। दुर्गा सप्तशती के पाठ में समय अधिक लगता है। अगर आपके पास समय कम है तो दुं दुर्गायै नम: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। मंत्र जाप रुद्राक्ष की माला की मदद से करना चाहिए। पूजा में माता को फलों का भोग लगाएं और पूजा के बाद फलों का वितरण करें।
किसी गरीब को करें धन और अनाज का दान
चैत्र नवरात्रि में रोज देवी पूजा के बाद घर के आसपास ही किसी गरीब व्यक्ति को धन और अनाज का दान करें। अगर संभव हो सके तो वस्त्रों का दान भी करें। छोटी कन्याओं को मिठाई खिलाएं।
नवमी पर करें कन्याओं की पूजा
नवमी पर यानी 2 अप्रैल को घर के आसपास की छोटी कन्याओं की पूजा करें। कन्याओं को घर बुलाएं और भोजन कराएं। भोजन के बाद कन्याओं को दक्षिणा दें। वस्त्र दें। छोटी कन्याओं को देवी मां का स्वरूप माना गया है। इसी वजह से नवरात्रि में इनकी पूजा करने की परंपरा प्रचलित है।


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