*शासकीय राशि का ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह सरपंच सचिव मिलकर पंचायत का कर दिया बंटाधार*
*सरपंच सचिव मिलकर कर रहे ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह का सत्यानाश*
*जनपद पंचायत हनुमना के सीईओ के कार्यशैली पर उठ रहा सवाल*
*आखिर ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह के सरपंच सचिव पर नही लगा रहा प्रशासन लगाम*
*और अपना भ्रष्टाचार छुपाने के लिए गलती पर गलती करते जा रहे सरपंच सचिव*
*रीवा जिले के हनुमना जनपद अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह का बुरा हाल*
रीवा जिले के हनुमना ब्लाक के अंतर्गत ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह में पुलिया निर्माण एवं पीसीसी निर्माण में हुआ लाखों का घोटाला ग्रामीण परेशान 3 कि तिकड़ी मे फसे ग्राम वासी सरपंच सचिव उपयंत्री के मिलीभगत से सरकारी खजाने को खूब लगाया चूना ग्राम पंचायत का विकास कार्य कागजों पर सिमटा रहा और सरकारी खजाने से राशि आहरित कर सरपंच एवं सचिव के द्वारा उड़ाए गए गुलछर्रे ग्राम पंचायत सचिव अक्सर बने सुर्खियों में ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा हितग्राही मूलक कार्य कपिलधारा और मेड बंधान योजनाओं में आरी भरकम भरे शाही ग्रामीणों में मचा हाहाकार हितग्राही मूलक कार्य को लेकर कई बार ब्लॉक के आला अधिकारियों से की गई शिकायत पर सचिव और उपयंत्री की मिलीभगत से हितग्राहियों के शिकायत का अनदेखी किया गया जिससे शासन प्रशासन की उदासीनता नजर आई
ग्राम पंचायत फूल बजरंग सिंह का बहुत बुरा है हाल एवं भ्रष्टाचार में लिप्त सरपंच सचिव अपने कमाई में लगे हुए हैं और शासन के राशि को पानी जैसे बहा रहे हैं
आज तक विकास से कोसों दूर ग्राम पंचायत और विकास के नाम से लाखों रुपए का खरीद फरोख्त किया जा चुका....
और हित ग्राही मूलक विकास कागज के पन्नों तक सीमित रह गया अगर ऐसा ही विनाश होता रहा तो 1 दिन ग्रामवासी रोड पर उतर कर चक्का जाम करने पर मजबूर हो जाएंगे
ग्राम पंचायत फूल बजरंग में इतना भ्रष्टाचार होने के बावजूद भी सीईओ हनुमना की कुंभकरण की नींद क्यों नहीं खुल रही क्यों हितग्राहियों को भ्रष्टाचार का शिकार होने दिया जा रहा क्यों नहीं कार्यवाही भ्रष्टाचारियों के ऊपर हो रही
क्यों सरकारी राशि का सरपंच के द्वारा दुरुपयोग करने पर कार्यवाही नहीं की जा रही क्या कारण है
ऐसा लगता है कि हनुमना सीईओ राजनैतिक दबाव मे तो नहीं है दबाव में यह भ्रष्टाचार छुपाया तो नहीं जा रहा कहीं ना कहीं राजनैतिक की बू तो आ रही है इसीलिए सरपंच सचिव के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और सारे नियम को ताक पर रखते हुए भ्रष्टाचार में लिप्त होते जा रहे हैं
*✍इसीलिए तो एक कहावत बनी है जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का✍*
हम आपको कुछ पंचायत का आप भी देख लीजिए कितना हुआ है विकास कागज से टुकड़ों पर सीमित है पंचायत का विकास
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें