*म.प्र पंचायत राज संचालनालय द्वारा 14 वें वित्त आयोग अन्तर्गत प्रदेश को परफॉर्मेंस या निष्पादन ग्रांट में व्यापक अनियमितता प्रकाश में आयी है.जिसके विषय में मप्र शासन के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में एक्टिविस्ट शिवानन्द द्विवेदी द्वारा शिकायत दर्ज कर कार्यवाही की माग की गई है.*
*12 करोड़ की राशि रीवा की गंगेव जनपद के लिए हुई थी जारी
मप्र की ऐसी पंचायतें जिन्होंने फर्जी तरीके से ही सही लेकिन स्वकराधान अथवा करारोपण द्वारा अपने पंचायत के विकाश के लिए राजस्व एकत्रित होना बताया उनके लिए शासन द्वारा पंचायत राज संचालनालय के माध्यम से 14 वें वित्त आयोग की परफॉरमेंस ग्रांट से कुछ राशि कराधान नाम से जारी की गई थी. इस विषय में शासन स्तर से पंचायत राज संचालनालय मप्र भोपाल द्वारा पत्राचार करते हुए अर्हता और योग्यता की जानकारी संबंधित जिला सीईओ से माँगी गयी थी जिसके आधार पर प्रत्येक जिले की कुछ चुनी हुई पंचायतों के लिए राशि जारी हुई थी. इसी तारतम्य में रीवा जिले की 75 पंचायतें जिनमे से 38 ग्राम पंचायतें मात्र गंगेव जनपद में ही सम्मिलित थें उनके लिए 12 करोड़ के आसपास की कराधान की राशि जारी हुई. शेष 27 पंचायतों में से 25 पंचायतें हनुमना जनपद की थीं, 7 पंचायतें रायपुर कर्चुलियान जनपद की थीं जबकि 3 जवा जनपद एक रीवा एवं एक सिरमौर जनपद की थीं.
*7 करोड़ के कराधान घोटाले से हुआ खुलासा*
कराधान घोटाले की बू गंगेव जनपद से प्रारम्भ हुई जहाँ प्रियासॉफ्ट नामक सॉफ्टवेयर से लगभग 12 करोड़ का आहरण का पता चला जिसमे गंगेव जनपद के किसी शिवशक्ति ट्रेडर्स नामक वेंडर्स को अकेले ही 12 करोड़ के अंतरण कर दिए गए और वह भी एक या दो दिन के भीतर जिसके विषय में जिले एवं भोपाल राज्य शासन को कई स्थानों पर शिकायतें की गईं एवं जांच की माग की गई. उसी सिलसिले में तत्कालीन रीवा कलेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव द्वारा अपने पत्र क्रमांक 2495 एवं 2498 के माध्यम से सभी संबंधित जनपदों के सीईओ के साथ बहुसदस्यीय टीम गठित कर जांच कार्यवाही एक सप्ताह के भीतर देने के लिए कहा गया जिस पर दिनांक 4/10/2019 के अपने जांच प्रतिवेदन में सीईओ जनपद पंचायत गंगेव की गठित ने पहला जांच प्रतिवेदन क्रमांक 1272 देकर 7 करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार होना बताया.
*आर टी आई द्वारा राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह के समक्ष हुआ बड़ा खुलासा*
बता दें की रीवा जिले में कराधान घोटाले को दबाने के भरसक प्रयास किये गए जिसमे रातोंरात बिल बाउचर बनवाये गए, पुरानी प्रशासनिक एवं तकनीकी स्वीकृतियां नई बताकर जारी की गईं लेकिन इसका खुलासा तब हुआ जब सामाजिक कार्यकर्ता शिवानन्द द्विवेदी द्वारा कलेक्टर रीवा एवं जनपद गंगेव में कलेक्टर की जांच रिपोर्ट के विषय में जानकारी चाही गई. इस पर जनपद गंगेव एवं कलेक्टर रीवा दोनो लोक सूचना अधिकारियों द्वारा परस्पर विरोधी एवं भ्रामक जानकारी देते हुए जानकारी छुपाने का प्रयास किया गया जिस पर मप्र राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह को आरटीआई की धारा 18 के तहत शिकायत ईमेल एवं ट्विटर के माध्यम से भेजी गई जिस पर कार्यवाही करते हुए जब तीनों लोक सूचना अधिकिरियों जनपद गंगेव, जिला पंचायत रीवा एवं कलेक्टर रीवा को 23 दिसंबर 2019 को उपस्थित होने एवं 11 हज़ारे 250 रुपये प्रतिव्यक्ति के हिसाब से जुर्माने की नोटिस जारी हुई तब जाकर पीआईओ के होश ठिकाने आये और एक्टिविस्ट द्विवेदी को 23 दिसंबर को राज्य सूचना आयुक्त महोदय के समक्ष संबंधित लोक सूचना अधिकारियों द्वारा हांथोहाँथ अधूरे जांच प्रतिवेदन दिए गए जिसमे मात्र गंगेव जनपद की 30 ग्राम पंचायतों की जांच रिपोर्ट ही प्रस्तुत की गई है. अभी भी गंगेव जनपद की 8 पंचायतों की जांच रिपोर्ट एवं अन्य जनपदों की 27 पंचायतों की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नही हो सकी है.
*इन इन पंचायतों से होनी है वसूली*
कराधान घोटाले में रीवा जिले की गंगेव जनपद की जिन जिन पंचायतों से वसूली की जानी हैं वह बेलवा पैकान, बांस, लौरीखुर्द, क्योटी, रघुनाथगंज, देवास, कंदैला, मदरी, सिरसा, तेंदुआ कोठार, दुबहाई खुर्द, पनगड़ी कला, परासी, चौरी, खरहरी, अकौरी, चन्देह, बेला, बेला, टिकुरी 32, अगडाल, संसारपुर, कटहा, दुबगवां, शिसवा, पचोखर, बसौली नंबर 2, बेलवा कुर्मियान, पुरवा 310, हिरुडीह, सेदहा हैं. इस सभी 30 पंचायतों से कुल मिलाकर 7 करोड़ 3 लाख 812 रुपये की राशि वसूली होनी है जो की बिना कार्ययोजना बनाये ही एकमुश्त निकाल ली गई थी. उक्त में से क्योटी, रघुनाथगंज एवं सिरसा पंचायतों से कोई वसूली प्रस्तावित नही हुई है. बताया गया है की इन तीन पंचायतों ने राशि खाते में आने बाद भी कोई निकासी नही की है.
*सम्पूर्ण मप्र की समस्त पंचायतों में कराधान घोटाले के जांच की माग*
रीवा जिले में 75 पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग की परफॉरमेंस ग्रांट में कराधान घोटाले की जांच के बाद गंगेव से आये खुलासों के बाद यह प्रश्न उठना लाजमी है की आखिर जब एक जिले के यह हालात हैं तो शेष अन्य जिलों का क्या होगा. स्वाभाविक तौर पर जिस प्रकार से रीवा जिले की पंचायतों में बिना कार्ययोजना और मापदंडों की अनदेखी की गई है वैसे ही जाहिर है की पूरे प्रदेश के अन्य शेष जिलों और पंचायतों में भी यही हाल होंगे.
इसी तारतम्य में सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा मप्र राज्य सूचना आयुक्त सहित आयुक्त मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद नर्मदा भवन भोपाल, लोकायुक्त भोपाल, ईओडब्ल्यू भोपाल, चीफ सेक्रेटरी मप्र शासन भोपाल, एडिशनल चीफ सेक्रेटरी पंचायत एवं ग्रामीण विकाश विभाग मनोज श्रीवास्तव, आयुक्त मप्र पंचायत राज संचालनालय भोपाल, मुख्यमंत्री मप्र शासन को पत्र लिखकर मय समस्त दस्तावेज सम्पूर्ण मप्र के कराधान घोटाले की जांच की माग की गई है.
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