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ऑनलाइन बिकेगा चावल ₹500 किलो किसान होगा मालामाल

ब्लेक राईस का बीज तैयार करने में 
 किसान उपेन्द्र पयासी को मिली कामयाबी
रीवा जिले के त्योंथर तहसील  के निवासी है, जिले के प्रगतिशील किसान ने अपने गांव गंगतीरा खुर्द के खेत में ब्लेक राईस(काला चावल) धान का बीज तैयार कर जिले के किसानों को एक नई राह दिखाई है। 


रीवा जिले में पहली बार किसी किसान ने ब्लेक राईस धान का बीज तैयार करने का प्रयास किया है। 
ब्लेक राईस धान की अपनी अलग ही विशेषता होती है। अपने नाम के अनुरूप ब्लेक राईस धान के पौधे में आने वाली धान की बालियां भी काली होती हैं और उसमें से निकलने वाला चावल का दाना भी काला होता है। ब्लेक राईस की तीन किस्में होती है। पहली किस्म ब्लेक राईस-1  है, जो 120 दिनों में तैयार हो जाती है। यह धान की फाईन वेराईटी(बारिक) है दूसरी किस्म ब्लेक राईस-2 है, जो 150 दिनों में एवं तीसरी किस्म हरिया है जो 160 दिन में तैयार होती है।  ब्लेक राईस-2 एवं हरिया का दाना मोटा होता है। 
ब्लेक राईस किसानों को करेगा मालामाल
 किसान उपेन्द्र पयासी ने बताया कि बाजार में ब्लेक राईस की बहुत मांग है। ब्लेक राईस का चावल आनलाईन 300 से 500 रु पये प्रति किलोग्राम की दर पर मिलता है। इसका बीज ही दो हजार से 3 हजार रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मिलता है। कहा जाता है कि ब्लेक राईस चावल शुगर-फ्री होता है। इसमें कार्बोहाईड्रेट नहीं होने के कारण यह चावल डायबिटिज (मधुमेह) और हाई बीपी(उच्च रक्तदाब) के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी होता है। इसी कारण इसके चावल का दाम 300 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम तक होता है। जबकि रीवा जिले में पैदा होने वाला अच्छी गुणवत्ता का चावल बाजार में 40 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से प्राप्त हो जाता है। 
 चर्चा के दौरान बताया कि उनके द्वारा पहली बार ब्लेक राईस की दो किस्मों का बीज तैयार करने का प्रयास किया गया है और इसमें उन्हें कामयाबी मिली है। उनके द्वारा नागपुर से ब्लेक राईस का बीज लाया गया था और इसे पूर्ण रूप से जैविक खाद के उपयोग से तैयार किया गया है। इसमें किसी भी तरह का रासायनिक खाद नहीं डाला गया है। ब्लेक राईस-1 की फसल कटने के लिए तैयार है और इससे उन्हें 8 से 10 क्विंटल ब्लेक राईस-1 का उत्पादन प्राप्त होने का अनुमान है। एक माह बाद ब्लेक राईस की अन्य दूसरी किस्म का धान भी तैयार हो जायेगा। उन्होंने बताया कि ब्लेक राईस रीवा जिले के किसानों के लिए आय का अच्छा जरिया बन सकता है। किसान इसका बीज उत्पादन कर ही अच्छा लाभ कमा सकते है। 
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